हेल्लो दोस्तों स्वागत है आपका हमारी website पर तो दोस्तों आज में आपको राजस्थान की बावडिया Rajasthan ki bavdiya In Hindi टॉपिक के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाने वाला हु इस टॉपिक से हर बार परीक्षा में Question पूछे जाते है राजस्थान की बावडिया Rajasthan ki bavdiya In Hindi टॉपिक से संबंधित Question पिछले कई पेपरों में पूछे जा चुके है
राजस्थान की बावडिया - Rajasthan ki bavdiya
राजस्थान में बावड़ी अथवा बाव का तात्पर्य एक विशेष प्रकार के जल स्थापत्य से हैं जिसमें एक गहरा कुआं अथवा एक बड़ा कुंड होता है इसमें पानी की सतह तक जानने के लिए सीढ़ियां बनी होती है इन पर अलंकृत द्वार सुंदर तोरण तथा देवी-देवताओं की प्रतिमाएं बनाई जाती है देश में बावडीयों का प्रचलन राजस्थान में गुजरात में सबसे अधिक है तालाब का ही सुव्यवस्थित और सुसज्जित रूप कुंड या बावड़ी होता है
प्राचीन शिलालेखों में बावड़ी के संस्कृत रूप वापी के उल्लेख प्रथम शताब्दी में मिलते हैं अमलेश्वर की बावड़ी यह प्रारंभिक कालीन शुंग कालीन बावड़ी है सर्वप्रथम बावड़ी निर्माण राव जोधा ने करवाया था राजपूताना में बावरियों का विवाद इमारत खाना था
अपराजिता में पृच्छा के अध्याय क्षेत्र में बावडियों के चार प्रकार बताए गए हैं -
नंदा- इसमें एक दो द्वार तथा तीन कूट होते हैं बावड़िया मनोकामनाएं पूर्ण करती थी
भद्रा- दो दीवारों एवं षट कूट वाली सुंदर बावड़ी
जया- देवता के लिए भी दुर्लभ बावड़ी जया में तीन द्वार व नो कूट होते थे
सर्वतोमुख- मुख्य इसमें चार द्वार तथा बारह सुंदर कोट होते थे
बावडियों के निर्माण में बंजारों का सर्वाधिक योगदान रहा है कालिदास मेघदूत में यक्ष द्वारा अपने घर के भीतर बावड़ी का वर्णन किया है
सुंदरकांड में अशोक वाटिका में हनुमान ने ऐसी बावड़ी देखी जिनमें पीले रंग के कमल खिले हुए आभानेरी बावड़ी दौसा ओसिया बावड़ी जोधपुर तथा भीनमाल बावड़ी जालौर इन तीनों बावडियों में भीतरी आवास आज भी देखी जा सकती हैं
राजस्थान की प्रारंभिक बावडियों में अंबलेश्चर की सुगन कालीन बावड़ी विशेष महत्व की है क्योंकि यह आकार में गोल और पाषाण जड़ित है
बावड़ी का मूल नाम है वापी जिसे अंग्रेजी में स्टेपवेल सीडीओ वाला कुआं भी कहते हैं
छोटी काशी बूंदी में सैकड़ों बावड़िया हैं इसलिए बूंदी शहर को स्टेप वेल ऑफ सिटी के नाम से जाना जाता है

राजस्थान की बावडिया - Rajasthan ki bavdiya
बूंदी की प्रमुख बावडिया - Rajasthan ki bavdiya
- साबू नाथ की बावड़ी बूंदी में स्थित है
- मेघनाथ की बावड़ी बूंदी में स्थित है
- दमरा बावड़ी व्यास बावड़ी बूंदी में स्थित है
- नाहर घुस की बावड़ी बूंदी में स्थित है
- साबूनाथ की बावडी बूंदी में स्थित है
- धाबाई जी बावडी नानकपुरियाबूंदी में स्थित है
- गुलाब बावडी बूंदी में स्थित है
- गुल्ला/गुलाब बावडी बूंदी में स्थित है
- मेघनाथ की बावडी बूंदी में स्थित है
- दमरा बावडी/व्यास बावडी बूंदी में स्थित है
- मनोहर बावडी/डाकरा बावडी बूंदी में स्थित है
- पठान की बावड़ी बूंदी में स्थित है
- मोचियों की बावड़ी बूंदी में स्थित है
- सांमरिया की बावड़ी दीवान की बावड़ी बूंदी में स्थित है
- बालचंद पाड़ा की बावड़ी बूंदी में स्थित है
- माता की बावड़ी दावा की बावड़ी बूंदी में स्थित है
- अनारकली की बावड़ी भावलदी बावड़ी बूंदी में स्थित है
- श्याम बावड़ी बूंदी में स्थित है
- नाथ की बावड़ी बूंदी में स्थित है
- चेन राय की करीला की बावड़ी बूंदी में स्थित है
- माननासी बावड़ी बूंदी में स्थित है
- मनोहर बावड़ी डाकरा बावड़ी बूंदी में स्थित है
- चंपा बाग की बावड़ी बूंदी में स्थित है जो गर्मी में शीतल जल के लिए प्रसिद्ध है
- गुल्ला गुलाब बावड़ी बूंदी में स्थित है इसे गुलाब बावड़ी कहा जाता है यह बावड़ी कुंडली आकार की होती है या दिन के तीसरे पहर में अपने आप ही पानी से भर जाती है
- रानी जी की बावड़ी बूंदी में स्थित है रानी जी की बावड़ी रामराज अनिरुद्ध की रानी नाथ वती द्वारा 1669 में निर्मित सबसे लंबी बावड़ी है
- इसकी गणना एशिया की सर्वश्रेष्ठ बावड़ियों में होती है
- भिस्तियों की बावड़ी बूंदी में स्थित है
- इसका अकार अंग्रेजी अक्षर L के समान होता है
- धाबाई जी की बावड़ी नानकपुरिया बूंदी में स्थित है यह बावड़ी शत्रु शुक्ल की रानी की दासी अनारकली द्वारा बनाई गई है
- गुलाब बावड़ी बूंदी में स्थित है
जोधपुर की प्रमुख बावडिया - Rajasthan ki bavdiya
- चेतन दास की बावड़ी झुंझुनू में स्थित है
- नई सड़क बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- मंडोर बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- नापर जी की बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- गोररूंधा बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- व्यास बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- चतानियां की बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- सुमन वोहरा की बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- जालाप बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- अनारा बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- नैनसी बावड़ी जोधपुर में स्थित हैं
- धाय बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- ईदगाह बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- हाथी बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- खरबूजा बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- राजाराम की बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- व्यास जी की बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- शिव बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- पांचवा मंजीषा बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- राम बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- रघुनाथ बावड़ी जोधपुर में स्थित है
- एक चटान बावड़ी मंडोर जोधपुर में स्थित है
- तापी बावड़ी जोधपुर में स्थित है यह बावड़ी जोधपुर शहर की बावड़ी में सबसे लंबी बावड़ी है
झुंझुनूं की बावडिया - Rajasthan ki bavdiya
- तुलस्यानो की बावड़ी झुंझुनू में स्थित है
- खेतानों की बावड़ी झुंझुनू में स्थित है
- चेतणदास की बावडी झुंझुनू में स्थित है
- मेड़तनी की बावड़ी झुंझुनू में स्थित है
- मेडतनी की बावड़ी झुंझुनू में स्थित है इसका निर्माण झुंझुनू के अधिपति सरदूल सिंह झुंझुनू के मरणोपरांत उनकी तीसरी पत्नी बख्त कंवर ने अपने पति की याद कायम रखने के लिए पीपल चौक तथा मनसा देवी के मंदिर के बीच करवाया था
टोंक की बावडिया
- दरिया शाह की बावड़ी टोंक में स्थित है
- डवाजा की बावड़ी टोंक में स्थित है
- हाड़ी रानी की बावड़ी टोडारायसिंह टोंक में स्थित है
भीलवाड़ा की प्रमुख बावडिया
- चमना बावड़ी भीलवाड़ा
- बाई जी बावड़ी बनेड़ा
जयपुर की प्रमुख बावडिया
- बड़ी बावड़ी जयपुर आगरा सड़क पर भंडारों ग्राम में किवदंती के अनुसार इसका निर्माण ठाकुर दिलीप सिंह दौलतिया ने 1732 में शिल्पीयो से एक ही रात में करवाया था
- जग्गा बावड़ी जयपुर में स्थित है
- आगरा सडक पर भाण्डारेज
- पन्ना मीणा की बावड़ी आमेर
अन्य महत्वपूर्ण बावड़िया - राजस्थान की बावडिया
- कबीर शाह की दरगाह करौली
- नो चोकी बावड़ी राजसमन्द Kelwara, Rajsamand
- फूल बावड़ी नागोर स्थित है
- दूध बावडी माउंट आबू (सिरोही)
- नौलखा बावड़ी (nolakha bawdi) डूंगरपुर
- प्रतापराव बावड़ी देवलिया प्रतापगढ
- डगसागर तालाब झालावाड़
- आभानेरी की चाँद बावड़ी धौलपुर
- चांद बावडीआभानेरी (Chand Baori) दौसा
- त्रिमुखी बावड़ी (Trimukhi Bawdi) उदयपुर
- बड़गाँव की बावडी कोटा
- शीला तथा पन्ना-मीना बावडी अजमेर
- बिनोता की बावड़ी चित्तौडगढ
- अजबगढ़ भानगढ़ बावड़ी अलवर में स्थित है
- चांद बावड़ी आभानेरी दौसा में स्थित हैं
- पन्ना मीना की बावड़ी आमेर में स्थित है
- बिनोता की बावड़ी चित्तौड़गढ़ में स्थित है इसका निर्माण सूरज सिंह शक्तावत ने करवाया था बिनोता बावड़ी के उत्तर में विशाल दरवाजा है जिसे हाथी दरवाजा कहते हैं
- बड़गांव की बावड़ी कोटा में स्थित है इसका निर्माण कोटा के तत्कालीन शासक 17 साल की पटरानी जादौन ने करवाया था
- शीला तथा पन्ना मीना बावड़ी अजमेर में स्थित है तोरण बावरी में हाथियों गणेश विष्णु तथा सरस्वती के प्रतिमा उकेरी गई है
- दूध बावड़ी माउंट आबू सिरोही में स्थित है
- नौलखा बावड़ी डूंगरपुर स्थित है जो राजा अस कर्ण की रानी प्रीमल देवी द्वारा निर्मित है
- प्रतापगढ़ बावड़ी देवलिया प्रतापगढ़ में स्थित है
- लंबी बावड़ी धौलपुर में स्थित है यह सात मंजिला बावड़ी है
- कबीर साहिब की दरगाह बावडी करौली में स्थित है
- आभानेरी की चांद बावड़ी धौलपुर जिले में स्थित है
- डग सागर तालाब झालावाड़ में स्थित है

राजस्थान की प्रमुख बावडिया विस्तार रूप से - Rajasthan ki bavdiya
भीनमाल बावड़ी
यह बावड़ी काफी ऐतिहासिक व प्रसिद्ध है यह बावरिया 1970 80 के दशक में शहरवासियों की प्यास बुझाती थीदबेली बावड़ी जाकोब तालाब की पाल पर रोनेश्वर महादेव मंदिर के पास स्थित है यह बावड़ी 550 साल पुरानी है
जानकारी के मुताबिक बावड़ी नरता के श्रीमाली ब्राह्मणों की ओर से निर्मित करवाई हुई है बावड़ी की बनावट इतनी शानदार है कि महल के समान बनी हुई है इस बावड़ी पर तीन चार दशक पहले सुबह-शाम पनिहारी की भीड़ उमड़ती थी मान्यता है कि बावड़ी का पानी अकाल में भी नहीं सुखा था
शहर की दादेली बावड़ी शहर सहित पूरे मारवाड़ क्षेत्र में प्रसिद्ध है इस बावड़ी के पानी से नवजात बच्चों को जन्म घुट दिया जाता था
ओसिया बावड़ी जोधपुर
ओसिया बावड़ी जोधपुर से 65 किमी की दूरी पर स्थित है ओसियां में एक तरफ मंदिरों का समूह तथा दूसरी तरफ रेगिस्तान हैओसिया की कप्तान बावड़ी में 1000 महिलाएं एक साथ पानी भर सकती थी लेकिन आदेश बावड़ी की सुध लेने वाला कोई नहीं है बावड़ी में आसपास के क्षेत्र के गंदगी जमा हो रही है घरों से निकलने वाला गंदा पानी भी यही जमा होता है कुछ वर्ष पूर्व कप्तान बावड़ी के सुंदरीकरण को लेकर पुरातत्व विभाग ने लाखों रुपए खर्च किए लेकिन रखरखाव विवाह की उदासीनता के कारण बावड़ी गंदे पानी से प्रदूषित हो गई है
ओसियां में मां सच्चियाय का भव्य मंदिर बना हुआ है ओसिया में एक समय में 108 मंदिर थे समय के साथ-साथ यह संख्या ने कारणों से कम होती गई ओसिया बावड़ी देसी विदेशी पर्यटक को मंदिर एवं स्मारकों की स्थापत्य कला के कारण आकर्षित करता है
वर्तमान में ओसियां में 18 स्मारक एवं दो बावड़ी स्थित है मंदिरों में एक महावीर का जैन व हिंदू मंदिर है इनमें सूर्य मंदिर हरिहर के 3 मंदिर विष्णु जी के मंदिर शीतला माता का मंदिर शिव जी का मंदिर भगन मंदिर महावीर का जैन मंदिर सबसे विशाल सच्चियाय माता का मंदिर है
जैन मंदिर की व्यवस्था में जैन ट्रस्ट द्वारा तथा श्री सच्चियाय माता मंदिर की व्यवस्था एक का सर्व जातीय सार्वजनिक ट्रस्ट द्वारा की गई जाती है जिसकी स्थापना सन् 1946 में पुजारी जुगराज जी शर्मा ने की थी सच्चियाय माता महिषासुर मर्दिनी का स्वरूप है
रानी जी की बावड़ी बूंदी
रानी जी की बावड़ी का निर्माण 1669 में रानी नाथावती द्वारा करवाया गया था जो राव की सबसे कम उम्र की रानी थी बावड़ी ने भारत में मध्ययुगीन काल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी इस कारण इसे सामाजिक डांस ओं के रूप में गिना जाता है
यह सीडी दार कुआ बावड़ी 165 फीट गहरी है जो राजपूतों के शासनकाल में एक उल्लेखनीय स्थापत्य कला शैली से को प्रदर्शित करता है इस बावड़ी की मुख्य विशेषता प्रवेश द्वार काफी संकीर्ण है और इसमें लगे हुए स्तंभ पर पत्थर के हाथी भी ऊपर बने हुए हैं शिरडी से नीचे जाने पर बावड़ी का व्यापक है
नौलखा बावड़ी का निर्माण 1586 में डूंगरपुर में करवाया गया इसका निर्माण महारावल आसन की रानी प्रेम देवी ने करवाया था यह बावड़ी राजस्थान के डूंगरपुर जिले में स्थित है
मंडोर बावड़ी जोधपुर
मंडोर बावड़ी जोधपुर जोधपुर रेलवे स्टेशन के पास स्थित है मंडोर का प्राचीन नाम मांडवपुर था यह पुराने समय में मारवाड़ की राजधानी थी राजधानी मंडोर को असुरक्षित मान कर सुरक्षा के लिहाज से चिड़ियाकूट पर्वत पर मेहरानगढ़ का निर्माण कर अपने नाम से जोधपुर को बसाया था तथा इसे मारवाड़ की राजधानी बनाया था वर्तमान में मंडोर दुर्ग के भग्नावशेष ही बाकी है जो बौद्ध स्थापत्य शैली के आधार पर बने है
आधुनिक काल में मंडोर में एक सुंदर उद्यान बना है जिसमें अजीतपुर देवताओं की साल में वीरों का दलाल तथा मंडोर बावड़ी स्थित है उडान में बनी कलात्मक इमारतों का निर्माण जैसे बावड़ी अजीत पोल देवताओं की शादी का निर्माण महाराजा अजीतसिंह उनके पुत्र महाराजा अभयसिंह के शासन काल के समय 1714 1749 के बीच किया गया
दूध बावडी
दूध बावडी आधार देवी मंदिर की तलहटी में स्थित है जो एक पवित्र कुआँ हैं और माउंट आबू के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। इसका नाम दूध बावडी इसलिए पड़ा क्योंकि इस कुएं में जो पानी है उसका रंग दूध की तरह है।
इस कुएं के पानी के रंग के साथ कई किवदंतियाँ जुड़ी हुई हैं। एक ऐसी ही किवदंती के अनुसार यह कुआँ देवी देवताओं के लिए दूध का स्त्रोत है। स्थानीय निवासियों द्वारा इस पानी को पवित्र माना जाता है।उनका यह विश्वास है कि कुएं के पानी में कुछ जादुई शक्तियां हैं। अनेक भक्त इस कुएं को गायों की देवी कामधेनु का प्रतीक भी मानते हैं।
हाड़ी रानी की बावड़ी
टोडारायसिंह (टोंक) में विशालपुर में हाड़ी रानी की विशाल बावड़ी स्थित है।1742 में बनी मेड़तणी बावड़ी, खेतानों की बावड़ी, जीतमल का जोहड़ा, तुलस्यानों की बावड़ी, लोहार्गन तीर्थस्थल पर बनी चेतनदास की बावड़ी तथा नवलगढ़ कस्बे की बावड़ी झुंझुनूँ जिले की मुख्य बावड़ियाँ हैं।
पन्ना मीना की बावड़ी
राजस्थान का एक पर्यटन स्थल है, जो आमेर, जयपुर में स्थित है। अत्यंत आकर्षक इस बावड़ी के एक ओर जयगढ़ दुर्ग व दूसरी ओर पहाड़ों की नैसर्गिक सुंदरता है।
- पन्ना की बावड़ी अपनी अद्भुत आकार की सीढ़ियों, अष्टभुजा किनारों और बरामदों के लिए विख्यात है।
- आभानेरी की 'चाँद बावड़ी' तथा हाड़ी रानी की बावड़ी के समान ही इसमें भी तीन तरफ़ सीढ़ियाँ हैं।
- इसके चारों किनारों पर छोटी-छोटी छतरियां और लघु देवालय इसे मनोहारी रूप प्रदान करते हैं।
चाँद बावड़ी
जयपुर, राजस्थान के समीप आभानेरी गाँव में स्थित चाँद बावड़ी भारत की सबसे सुन्दर बावड़ी है चाँद बावड़ी राजस्थान की तथा कदाचित सम्पूर्ण भारत की प्राचीनतम बावड़ी है जो अब भी सजीव है। भारत की इस सर्वाधिक गहरी बावड़ी का निर्माण निकुम्भ वंश के राजा चंदा या चंद्रा ने 8वी से 9वी शताब्दी में करवाया था चाँद बावड़ी इन सभी बावड़ियों में सबसे बड़ी और लोकप्रिय है। विश्व की सबसे बड़ी बावड़ी चाँद बावड़ी का निर्माण राजा चाँद ने 8वीं या 9वीं शताब्दी में कराया था
चाँद बावड़ी राजस्थान की तथा कदाचित सम्पूर्ण भारत की प्राचीनतम बावड़ी है जो अब भी सजीव है। भारत की इस सर्वाधिक गहरी बावड़ी का निर्माण निकुम्भ वंश के राजा चंदा या चंद्रा ने ८वी से ९वी शताब्दी में करवाया था
राजस्थान में जयपुर से 95 किमी दूरी पर स्थित आभानेरी गाँव में विश्व की सबसे बड़ी बावड़ी स्थित है, जिसका नाम है 'चाँद बावड़ी'।चाँद बावड़ी का निर्माण राजा चाँद ने किया था।
चांद बावड़ी के अंदर बनी आकर्षक सीढि़यां कलात्मक और पुरातत्व कला का शानदार उदाहरण है| इस बावड़ी के अंदर 3,500 सीढ़ियां हैं जो नीचे की ओर जाती हैं। उस समय अगर किसी भी व्यक्ति को बावड़ी के भीतर से पानी निकालना होता था तो उसे पहले साढ़े तीन हजार सीढ़ियां नीचे जाना पड़ता था।
चौकोर आकार में बनी यह बावड़ी हर ओर से 35 मीटर लंबी है। चार कोनों में से तीन कोनों में सीढ़ियां हैं, जो गहराई तक पहुंचती हैं। इस क्षेत्र की जलवायु रूखी है और उस समय यहां पानी की बहुत कमी रहती थी, तभी इतनी गहरी बावड़ी का निर्माण करवाया गया।
इस बावड़ी में जमा किया गया पानी एक साल तक स्थानीय लोगों की जरूरतें पूरी करता था।कहा जाता है मॉनसून के समय में इस बावड़ी में ऊपर तक पानी भर जाता है।इस बावड़ी में एक सुरंग भी है जिसकी लम्बाई लगभग 17 कि.मी. है जो पास ही स्थित गांव भांडारेज में निकलती है।
काका जी की बावड़ी
राजस्थान में यह दौसा जिले की बाँदीकुई तहसील के आभानेरी नामक ग्राम में स्थित है। बावड़ी १०० फीट गहरी है। इस बाव़डी के तीन तरफ सोपान और विश्राम घाट बने हुए हैं। इस बावड़ी की स्थापत्य कला अद्भुत है।
गडसीसर सरोवर की बावड़ी
जैसलमेर में इस सरोवर का निर्माण रावल गड़सी के शासनकाल में सन् 1340 में करवाया गया। इस कृत्रिम सरोवर का मुख्य प्रवेश द्वार ‘टीलों की पिरोल’ के रूप में विख्यात है।1870 में निर्मित पन्नालाल शाह का तालाब, बगड़ का फतेहसागर तालाब, खेतड़ी का अजीत सागर तालाब, झुंझुनूँ के कुछ प्रमुख जलाशय हैं।
दोस्तों यदि आपको राजस्थान की बावडिया Rajasthan ki bavdiya In Hindi – Best यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इस राजस्थान की बावडिया Rajasthan ki bavdiya In Hindi – Best पोस्ट को Like & Comment करे तथा Share भी करे और हमे बताये भी ये पोस्ट आपको केसी लगी धन्यवाद – Pankaj Taak
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सर काका जी की बावड़ी का ऑथेंटिक सोर्स बता दीजिए आपत्ति लगानी है प्लीज सर रिप्लाई जरूर करें
Thanks bro 🤗 good work