श्रृंगार रस – Shringar Ras In Hindi
श्रृंगार रस – Shringar Ras – नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस की अवस्था को पहुँचकर आस्वादन के योग्य हो जाता है तो वह ‘श्रृंगार रस’ कहलाता है।
श्रृंगार रस के कितने भेद हैं?
श्रृंगार रस के मुख्य दो भेद हैं—संयोग श्रृंगार एवं वियोग या विप्रलम्भ श्रृंगार।
संयोग श्रृंगार एवं वियोग श्रृंगार – Shringar Ras In Hindi
जब नायक ,नायिका के मिलन प्रसंग हों तो संयोग श्रृंगार और उनके मिलन के अभाव मे वियोग /विप्रलम्भ श्रृंगार होता है ।
श्रृंगार रस का स्थायी भाव क्या है? – Shringar Ras In Hindi
जब किसी काव्य छंद पद को पढ़ने से स्थाई भाव रति की व्यंजना होती है ,तो उसे श्रंगार रस कहते हैं |श्रृंगार रस का स्थाई भाव रति है |
उदाहरण –
“मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई”
श्रृंगार रस को ‘रसों का राजा’ माना गया है। इसकी उत्पत्ति के लिए स्थाई भाव ‘रति‘ जिम्मेदार है। यह रस दो प्रकार का होता है- संयोग और वियोग। सरल शब्दों में कहें तो संयोग श्रृंगार में नायक-नायिका के परस्पर मिलन कि अनुभूति होती है जबकि वियोग में नायक- नायिका एक दूसरे से प्रेम करते हैं लेकिन उनके मिलन का अभाव होता है। संक्षेप में कहें तो संयोग में मिलन की अनुभूति होती है तो वियोग में विरह की।
संयोग श्रृंगार रस के लिए हिंदी साहित्य में सबसे विख्यात हैं रीतिकाल के कवि बिहारी। कारण यह है कि बिहारी दोहा जैसे छोटे छंद में अनुभावों की सघनता से श्रृंगार वर्णन को बिंबात्मक और सजीव बना देते हैं। इनके कुछ दोहों को पढ़ने मात्र से चलचित्र देख लेने जैसा अनुभव पाठक को प्राप्त होता है। प्रस्तुत हैं बिहारी के श्रृंगार रस से परिपूर्ण कुछ दोहे –
“बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय।
सौंह करै भौंहनु हँसे , दैन कहै , नटि जाय।।”
“कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात।
भरे भौन में करत हैं, नैननु ही सों बात॥”
“पतरा ही तिथी पाइये, वा घर के चहुँ पास।
नित प्रति पून्यौई रहे, आनन-ओप उजास॥”
” अंग अंग नग जगमगत दीपसिखा सी देह।
दिया बुझाय ह्वै रहौ, बड़ो उजेरो गेह॥”
” तंत्रीनाद, कवित्त-रस, सरस राग, रति-रंग।
अनबूड़े बूड़े , तिरे जे बूड़े सब अंग।।”

नाटक में श्रृंगार रस क्या है? – Shringar Ras In Hindi
कोई चीज जितनी सरल होती है हमें उसे समझने में उतनी ही आसानी होती है। इसीलिए मैं कोशिश करूंगा की आपका जवाब सरल शब्दों में ही दूं।श्रृंगार- यह शब्द पढ़ते ही जेहन में क्या आता है? श्रृंगार, आभूषण, सजावट, साज-सज्जा आदि। और इन सब चीजों का प्रयोग कहां पर होता है? खुशी के क्षणों में, प्यार के क्षणों में ।अर्थात, नाटक के कोई भी दृश्य में अगर वहां प्रेम प्रकट होता है तो वह श्रृंगार रस है। यह श्रृंगार अलग अलग तरीके से और अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं। चाहे मां बेटे का प्यार हो या प्रेमी युगल का आलिंगन हो या वियोग का दृश्य हो या किसी खूबसूरत नारी कि सुंदरता हो सभी श्रृंगार रस है।
श्रृंगार रस – Shringar Ras
- श्रृंगार रस- रति
- हास्य रस- हास्य
- करुण रस- शोक
- रौद्र रस- क्रोध
- वीर रस- उत्साह
- भयानक रस- भय
- विभत्स रस- घृणा
- अद्भुत रस- आश्चर्य
- शांत रस- शांत
- श्रृंगार रस के उदाहरण
- नाटक में श्रृंगार रस
- रस कितने
- श्रृंगार रस के कितने भेद
- Shringar Ras
- संयोग श्रृंगार एवं वियोग श्रृंगार
रस कितने होते हैं ? – Shringar Ras In Hindi
मुख्य रूप से रस नौ भेद होते है। इन नौ रासो के भेद और उनके भाव इस प्रकार हैं।
1. श्रृंगार रस- रति
2. हास्य रस- हास्य
3. करुण रस- शोक
4. रौद्र रस- क्रोध
5. वीर रस- उत्साह
6. भयानक रस- भय
7. विभत्स रस- घृणा
8. अद्भुत रस- आश्चर्य
9. शांत रस- शांत
- श्रृंगार – जब नायक नायिका के बिछुड़ने का वर्णन होता है तो वियोग श्रृंगार होता है
2. अद्भुत – जब किसी गद्य कृति या काव्य में किसी ऐसी बात का वर्णन हो जिसे पढ़कर या सुनकर आश्चर्य हो तो अद्भुत रस होता है.
3. करुण – जब भी किसी साहित्यिक काव्य ,गद्य आदि को पढ़ने के बाद मन में करुणा,दया का भाव उत्पन्न हो तो करुण रस होता है.
4. हास्य – जब किसी काव्य आदि को पढ़कर हँसी आये तो समझ लीजिए यहां हास्य रस है.
5. वीर – जब किसी काव्य में किसी की वीरता का वर्णन होता है तो वहां वीर रस होता है.
6. भयानक – जब भी किसी काव्य को पढ़कर मन में भय उत्पन्न हो या काव्य में किसी के कार्य से किसी के भयभीत होने का वर्णन हो तो भयानक रस होता है.
7. शांत – जब कभी ऐसे काव्यों को पढ़कर मन में असीम शान्ति का एवं दुनिया से मोह खत्म होने का भाव उत्पन्न हो तो शांत रस होता है.
8 रौद्र – जब किसी काव्य में किसी व्यक्ति के क्रोध का वर्णन होता है. तो वहां रौद्र रस होता है.
9. वीभत्स – वीभत्स यानि घृणा जब भी किसी काव्य को पढ़कर मन में घृणा आये तो वीभत्स रस होता है।ये रस मुख्यतः युद्धों के वर्णन में पाया जाता है. जिनमें युद्ध के पश्चात लाशों, चील कौओं का बड़ा ही घृणास्पद वर्णन होता है.

श्रृंगार रस के उदाहरण : Example Of Shringar Ras In Hindi
दूलह श्रीरघुनाथ बने दुलही सिय सुन्दर मन्दिर माहीं।
गावति गीत सबै मिलि सुन्दरि बेद जुवा जुरि बिप्र पढ़ाहीं॥
राम को रूप निहारति जानकि कंकन के नग की परछाहीं।
यातें सबै सुधि भूलि गई कर टेकि रही, पल टारत नाहीं॥
श्रृंगार रस का उदाहरण : – Shringar Ras In Hindi
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
जाके सिर मोर मुकुट मेरा पति सोई
अद्भुत रस का उदाहरण : – Shringar Ras In Hindi
देखरावा मातहि निज अदभुत रूप अखण्ड
रोम रोम प्रति लगे कोटि-कोटि ब्रह्माण्ड
करुण रस का उदाहरण : – Shringar Ras In Hindi
हाय राम कैसे झेलें हम अपनी लज्जा अपना शोक
गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक
हास्य रस का उदाहरण : – Shringar Ras In Hindi
सीरा पर गंगा हसै, भुजानि में भुजंगा हसै
हास ही को दंगा भयो, नंगा के विवाह में
वीर रस का उदाहरण : – Shringar Ras In Hindi
चढ़ चेतक पर तलवार उठा करता था भूतल पानी को
राणा प्रताप सर काट-काट करता था सफल जवानी को
भयानक रस का उदाहरण : – Shringar Ras In Hindi
अखिल यौवन के रंग उभार, हड्डियों के हिलाते कंकाल
कचो के चिकने काले, व्याल, केंचुली, काँस, सिबार
शांत रस का उदाहरण : – Shringar Ras In Hindi
जब मै था तब हरि नाहिं अब हरि है मै नाहिं
सब अँधियारा मिट गया जब दीपक देख्या माहिं
रौद्र रस का उदाहरण : – Shringar Ras In Hindi
उस काल मरे क्रोध के तन काँपने उसका लगा
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा
वीभत्स रस का उदाहरण : – Shringar Ras In Hindi
आँखे निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़ कर आ जाते
शव जीभ खींचकर कौवे, चुभला-चभला कर खाते
भोजन में श्वान लगे मुरदे थे भू पर लेटे
खा माँस चाट लेते थे, चटनी सैम बहते बहते बेटे
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