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राजस्थान की चित्रकला - Rajasthan Ki Chitrkalaa In Hindi

लेखक: Sincere Taakसमय: 6 मिनट

हेल्लो दोस्तों स्वागत है आपका हमारी website पर तो दोस्तों आज में आपको राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi  उपलब्ध करूँगा जो हर बार परीक्षा में पूछे जाते है | राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi पिछले कई पेपरों में पूछे जा चुके है

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi Gk Question टॉपिक से संबंधित Question पेपरों में आने की संभावना ज्यादा बनी रहती है जिससे संबंधित Question इस पोस्ट में आपको जानकारी मिलेगी व इससे संबंधित Question मिलेंगे |

Table of Contents

  • राजस्थान की चित्रकला - Rajasthan Ki Chitrkalaa
    • राजस्थान की चित्रशैलीओं का वर्गीकरण - Rajasthan Ki Chitrkalaa
  • मेवाड़ शैली की शैलीयो का विस्तार - Rajasthan Ki Chitrkalaa
    • उदयपुर शैली
    • नाथद्वारा शैली
    • चावंड शैली
    • देवगढ़ शैली
    • डूंगरपुर शैली
  • मारवाड़ शैली की शैलीयो का विस्तार - Rajasthan Ki Chitrkalaa
    • बीकानेर शैली
    • जोधपुर शैली
    • जैसलमेर शैली
    • किशनगढ़ शैली
    • नागौर शैली
    • अजमेर शेली
  • ढूंढाड शैली की शैलीयो का विस्तार - Rajasthan Ki Chitrkalaa
    • आमेर शैली
    • जयपुर शैली
    • अलवर शैली
    • उनियारा शैली
  • हाडोती स्कूल की शैलीयो का विस्तार - Rajasthan Ki Chitrkalaa
    • बूंदी शैली
    • कोटा शैली
    • राजस्थानी चित्रकला में बारहमासा चित्रण की परंपरा
    • राजस्थानी चित्रकला में पशु पक्षियों का अंकन - Rajasthan Ki Chitrkalaa In Hindi
    • राजस्थान में आधुनिक चित्रकला का विकास
    • राजस्थान के प्रमुख आधुनिक चित्रकार -
  • राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi
    • राजस्थान की चित्रकला के Question - राजस्थान की चित्रकला के प्रश्न
    • राजस्थान की चित्रकला के Question - राजस्थान की लोक चित्रकला
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राजस्थान की चित्रकला - Rajasthan Ki Chitrkalaa

राजस्थान की चित्र शैली ओं का भारतीय चित्रकला में द्वितीय स्थान है भारतीय चित्रकला के अंतरराष्ट्रीय ख्याति में राजस्थानी चित्रकला का महत्वपूर्ण योगदान रहा है राजस्थान में सर्वाधिक प्राचीन उपलब्ध चित्रित ग्रंथ जैसलमेर भंडार में 1060 ईसवी के नियुक्ति वृत्ति व दसवे कालिक सूत्र चूर्निक मिले
राजस्थानी चित्रकला का पहला वैज्ञानिक विभाजन 1916 में आनंद कुमार स्वामी द्वारा अपनी पुस्तक राजपूत पेंटिंग में किया गया स्वामी के अनुसार राजपूत शैली के विषय राजपूताना पंजाब हिमाचल पहाड़ी रियासतों से संबंधित रहे हैं

राजस्थानी चित्रकला शैली की प्रमुख विशेषताएं पक्षियों का चित्रांकन राजसी ठाठ बाट शिकार के दृश्य राज दरबार की दृश्य राजा महाराजाओं के आदम कद चित्र प्रकृति के विविध आयामों का कलात्मक अंकन एक आश्रम चेहरों की अधिकता सत्री लावण्य बेल बूटे रेखाओं का न्यूनतम प्रयोग एवं चटकीले तथा आकर्षक रंगों का प्रयोग है प्राचीन काल से ही राजस्थान में चित्र बनाने हेतु कागजों की कसली एक प्रकार एक जमाई गई का प्रयोग किया जाता रहा है
राजस्थानी चित्रकला में विभिन्न ऋतुओ का श्रृंगारिक चित्रण कर उनका मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का अंकन किया है राजस्थानी चित्रकला को आनंद कुमार स्वामी हैवेल बेसिल ग्रे एवं ओसी गांगुली ने राजपूत चित्रकला का नाम दिया है जबकि रामकृष्ण दास वह कर्नल जेम्स टॉड ने इसे राजस्थानी चित्रकला का है जो कालांतर में मान्य हो गया

रेखाओं की बारी की इस शैली की प्रधानता है इसमें प्राय छिन्न चित्र बने हैं इस शैली के चित्रों में कला के साथ साहित्य एवं संगीत का समन्वय भी हुआ है तिब्बती इतिहासकार तारा नाथ ने मरू प्रदेश मे 7 वी शताब्दी में श्रृंगधर नामक चित्र कार्य का उल्लेख किया है चित्र प्राचीन काल से ही मानव भावनाओं का दर्पण माने जाते हैं राजस्थान में प्राचीन समय से ही चित्रकला की समृद्ध परंपरा है यहीं पर चित्रकला के प्राचीन अवशेष कोटा में चंबल नदी के किनारे पुष्कर में मुन्नी अगस्त्य की गुफा में आलनिया नदी के किनारे सवाई माधोपुर जिले में आज अमरेश्वर नामक स्थान पर मिलते हैं

राजस्थानी संस्कृति में जनमानस का भी पशु पक्षियों से गहरा लगाव है ऊंट पर सवार युगल को अमूमन ढोला मारू की संज्ञा दी जाती है इसी प्रकार गोपालक को किसना कृष्णा कहा जाता है

राजस्थान की चित्रशैलीओं का वर्गीकरण - Rajasthan Ki Chitrkalaa

मेवाड़ स्कूलमारवाड़ स्कूलढूंढाड स्कूलहाडोती स्कूल
1. उदयपुर शैली1. जोधपुर शैली1. आमेर शैली1. बूंदी शैली
2. नाथद्वारा उप शैली2. बीकानेर शैली2. जयपुर शैली2. कोटा शैली
3. चावंड उप शैली3. जैसलमेर शैली3. अलवर शैली
4. देवगढ़ उप शैली4. किशनगढ़ शैली4. उनियारा शैली
5. डूंगरपुर शैली5. नागौर शैली
6. अजमेर शेली
7. घाने राव उप शैली

मेवाड़ शैली की शैलीयो का विस्तार - Rajasthan Ki Chitrkalaa

उदयपुर शैली

  • राजस्थानी चित्रकला की मूल शैली है।
  • उदयपुर शैली का प्रारम्भिक विकास राणा कुम्भा के काल में हुआ।
  • उदयपुर शैली का स्वर्णकाल जगत सिंह प्रथम का काल रहा।
  • महाराणा जगत सिंह के समय उदयपुर के राजमहलों में “चितेरों री ओवरी” नामक कला विद्यालय खोला गया जिसे “तस्वीरां रो कारखानों”भी कहा जाता है।
  • महाराणा अमरसिंह प्रथम के समय तो मेवाड़ शैली पर मुगल प्रभाव लगा।
  • मेवाड़ शैली पर गुर्जर व जैन शैली का सर्वाधिक प्रभाव है।मेवाड़ चित्रशैली मे बादल युक्त नीला आकाश, कदंब के वृक्ष, हाथी, कोयल, सारस एवं मछलियोंका चित्रण अधिक मिलता है।
  • महाराणा जगतसिंह प्रथम ने राजमहल मे ‘चितेरो की ओवरी’ नाम से कला विद्यालय स्थापितकरवाया जिसे ‘तस्वीरां रो कारखानों के नाम से जाना जाता है।
  • विष्णु शर्मा द्वारा रचित पंचतन्त्र नामक ग्रन्थ में पशु-पक्षियों की कहानियों के माध्यम से मानव जीवन के सिद्वान्तों को समझाया गया है।पंचतन्त्र का फारसी अनुवाद “कलिला दमना” है, जो एक रूपात्मक कहानी है। इसमें राजा(शेर) तथा उसके दो मंत्रियों(गीदड़) कलिला व दमना का वर्णन किया गया है।
  • मुख चित्रित गं्रथ – महाराणा तेजसिंह के काल में रचित ‘श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णि एवं सुपासनाहचरित’, गीत गोविंद आख्यायिका, ‘रामायण शूकर’ आदि।
  • प्रमुख चित्रकार – साहिबदीन, मनोहर, कृपाराम, उमरा, गंगाराम, भैरोराम, शिवदत्त आदि।

नाथद्वारा शैली

  • 1672 में महाराणा राजसिंह के द्वारा राजसमन्द के नाथद्वारा में श्रीनाथ जी के मन्दिर की स्थापना के साथ ही नाथद्वारा शैली का विकास हुआ जिसे वल्लभ चित्र शैली के नाम से भी जाना जाता है।
  • नाथद्वारा शैली मे मेवाड़ की वीरता, किशनगढ़ का श्रृंगार तथा ब्रज के प्रेम भी समन्वित अभिव्यक्ति हुई है।
  • नाथद्वारा चित्र शैली में श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के सर्वाधिक चित्र बने है।
  • चित्रकार – नारायण, घीसाराम, चतुर्भुज, उदयराम, खूबीराम
  • नारी आकृति व वेशभूषा – छोटा कद, तिरछी एवं चकोर के समान आँखे, शारीरिक स्थूलता एवं भावों मे वात्सल्य की झलक
  • विशेष तथ्य – इस चित्रशैली मे पिछवाई एवं भित्ती चित्रण प्रमुख है।
  • इस चित्रशैली मे गाय, केले के वृक्षों को प्रधनता दी गई है।
  • विषय – कृष्णलीला, श्रीनाथ जी के विग्रह, राधा कृष्ण यशोदा के चित्र।
  • प्रमुख रंग – पीला, हरा।
  • पुरुष – पुष्ट शरीर, तिलकस्त्री – तिरछी चकोर की आंखे, उरोजों का गोल उभार, मांसल शरीर, मंगल सूत्र
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चावंड शैली

  • चित्रकार – नसीरुद्दीन (निसरदी)
  • प्रमुख शासक – महाराणा प्रताप एवं महाराजा अमरसिंह।
  • प्रमुख चित्रकार – नसीरदी (निसारदी)।
  • प्रमुख चित्रित गं्रथ – ‘रंगमाला’
  • विषय – प्रताप के शाशनकाल में शुरू में एवं अमर सिंह के समय नसीरुद्दीन ने रागमाला ग्रन्थ चित्रित किया।
  • विशेष – आकाश को सर्पिला कार व् लहरिया दार तरंगित बादलों के रूप में प्रदर्शित किया।

देवगढ़ शैली

  • विषय – शिकार के दृश्य, अन्तः पुर, राजसी ठाट-बाट, सवारियां।
  • चित्रकार – बैजनाथ, चोखा, कँवला
  • विशेष तथ्य – यह शैली मारवाड़, जयपुर व मेवाड़ की समन्वित शैली है।
  • इस शैली को सर्वप्रथम डॉ. श्रीध्र अंधरे ने प्रकाशित किया।
  • महाराणा जयसिंह के समय रावत द्वारिका दास चूंडावत ने देवगढ़ ठिकाना (राजसमंद) 1680 ई. मेस्थापित किया तदुपरान्त देवगढ़ शैली का जन्म हुआ।
  • विशेष – देवगढ़ शैली में जयपुर, जोधपुर,उदयपुर तीनों सहेलियों का प्रभाव है।

डूंगरपुर शैली

  • डूंगरपुर (Dungarpur) भारत के राजस्थान राज्य के डूंगरपुर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।
  • यहाँ से होकर बहने वाली सोम और माही नदियाँ इसे उदयपुर और बांसवाड़ा से अलग करती हैं।
  • पहाड़ों का नगर कहलाने वाला डूंगरपुर में जीव-जन्तुओं और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं। डूंगरपुर, वास्तुकला की विशेष शैली के लिए जाना जाता है जो यहाँ के महलों और अन्य ऐतिहासिक भवनों में देखी जा सकती है

मारवाड़ शैली की शैलीयो का विस्तार - Rajasthan Ki Chitrkalaa

बीकानेर शैली

  • बीकानेर शैली का प्रादुर्भाव 16 वी शती के अन्त मे माना जाता हैं। राव रायसिंह के समय चित्रित ‘ भागवत पुराण ‘प्रारंभिक चित्र माना जाता हैं
  • बीकानेर नरेश ‘ रायसिंह ‘(1574-1612ई) मुगल कलाकारों की दक्षता से प्रभावित होकर वे उनमें से कुछ को अपने साथ ले आये। इनमें ‘उस्ता अली रजा ‘व ‘उस्ता हामिद रुकनुद्दीन ‘ थे। इन दोनों कलाकारों की कला की कलाकृतियों से चित्रकारिता की बीकानेर शैली का उद्भव हुआ।
  • महाराजा अनूप सिंह के काल में बीकानेर चित्र शैली का सर्वाधिक विकास हुआ है।
  • बीकानेर चित्र शैली में भी दरबार, शिकार तथा वन-उपवन के चित्र बने हुए है।
  • बीकानेर चित्र शैली में धार्मिक ग्रन्थों के कथानकों पर भी महाराजा करणी सिंह के काल में सर्वाधिक चित्र बने।
  • उस्ता कला – बीकानेर शैली के उद्भव का श्रेय उस्ता कलाकारों को जाता है। इसका जन्म बीकानेर में हुआ, तथा यहाँ के चित्रकार अपने चित्र पर अपना नाम व तिथि अंकित करते थे।
  • राजा अनूपसिंह – इनके समय में बीकानेर शैली का स्वर्ण काल देखने को मिलता है। इनके समय के प्रमुख चित्रकार अलीरजा, हसन व रामलाल थे।
  • महाराजा रायसिंह के समय चित्रित ‘भागवत पुराण’ ग्रंथ इस शैली का प्रारंभिक चित्र माना जाता है।
  • बीकानेर चित्रशैली पर मुगल, जैन स्कूल एवं दक्षिण शैली का प्रभाव पड़ा।
  • बीकानेर चित्रशैली आम, ऊँट एवं घोड़ों के चित्रण मुख्यतः मिलते है।
  • सामन्ती वैभव का चित्रण इस शैली का प्रमुख आधर।
  • बीकानेर शैली को मथंरण व उस्ता कलाकारों ने पल्लवित और पुष्पित किया।
  • रायसिंह के समय उस्ता अलीराजा तथा उस्ता हामिद रूकनुद्दीन मुख्य चित्रकार थे।
  • प्रमुख चित्रकार - शिवदास भाटी, नारायण दास, बिशन दास, किशनदास, अमरदास, रामू, नाथो, डालू, फेज अली,उदयराम, कालू, छज्जू भाटी, जीतमल प्रमुख चित्रकार रहे है।
  • बीकानेर के राजकीय संग्रहालय में जर्मन चित्रकार ए.एच.मूलर द्वारा चित्रित यथार्थवादी शैली केचित्र रखे गये।
  • रंग- लाल व पीले रंग का बाहुल्य है, जो स्थानीय विशेषता है।

जोधपुर शैली

  • जोधपुर चित्र शैली को महाराजा सूर सिंह महाराजा जसवन्त सिंह, महाराजा अजीत सिंह तथा महाराजा अभय सिंह ने संरक्षण दिया था।
  • मालदेव के समय में स्वतंत्र अस्तित्व में आयी, पहले इस पर मेवाड़ शैली का स्प्ष्ट प्रभाव था इस काल की प्रतिनिधि चित्रशैलीबके उदाहरण म “चोखे का महल” व चित्रित उत्तराध्ययन सूत्र” से प्राप्त होते है।
  • जोधपुर में सूरसिंह के समय “ढोला-मारू” प्रमुख चित्रित ग्रन्थ है।इस चित्रों में शीर्षक “नागरी-लिपि व गुजराती” भाषा मे लिखे गए पाली का रागमाला सम्पुट मारवाड़ का प्राचीनतम तिथि युक्त कृति के रूप में महत्व रखता है।
  • महाराजा अभय सिंह के काल में जोधपुर शैली का सर्वाधिक विकास हुआ।
  • यह शैली स्वतंत्र रूप से ‘राव मालदेव’ के समय विकसित हुई।
  • इस शैली मे आम के वृक्ष, ऊँट, घोड़ें एवं कुत्तों को प्रमुखता दी जाती है।
  • रागमाला-1632 ई. वीर विट्ल दास चांपावत द्वारा चित्रित।
  • नाथ सम्प्रदाय की पारम्परिक जीवन शैली का चित्रन प्रधन विषय रहे।चित्र – ढोला मारू ढोला मरवण री बात– जेठवा-उजली मूमलदे-निहालदे
  • 1623 ईस्वी में वीर जी द्वारा पाली के प्रसिद्ध वीर पुरुष विठ्ठल दास चंपावत के लिये “रागमाला चित्रवाली” चित्रित किया गया।रागमाला चित्रवाली , शुद्ध राजस्थानी में अंकित है महाराज गजसिंह के शासन काल मे ढोला मारू , भागवत ग्रन्थ चित्रित किये गए।
  • राजा गजसिंह प्रथम के समय।– कबूतर उड़ाती स्त्रा, पेड़ की डाल पकड़कर झूलती र्हु स्त्रा का चित्रण।
  • महाराजा मानसिंह के समय रसराज ग्रन्थ पर आधरित 62 चित्रों को एक महत्वपूर्ण श्रृंखला बनी।
  • महाराज अजीत सिंह के समय के चित्र मारवाड़ चित्र शैली के सबसे सुंदर चित्र माने जाते है अभयसिंह जी का नृत्य देखते हुए चित्र “डालचंद” द्वारा चित्रित किया गया है।

जैसलमेर शैली

  • प्रमुख शासक – महारावल हरराज, अखैसिंह व मूलराज।
  • प्रमुख चित्र – मूमल
  • जैसलमेर शैली की एक प्रमुख विशेषता यह रही कि इसने मुगली या जोधपुरी शैली का प्रभाव न आने दिया बल्कि यह एकदम स्थानीय शैली हैं।
  • जैसलमेर शैली का विकास मुख्य रुप से महारावल हरराज, अखैसिंह एवं मूलराज के संरक्षण मे हुआ।
  • मूमल’ जैसलमेर शैली का प्रमुख चित्र हैं।
  • मारवाड़ चित्र शैली मे सर्वाधिक आम के वृक्षों का चित्रांकन हुआ है।
  • मारवाड़ चित्र शैली के नायक एवं नायिकाओं को गठीले कद-काठी के चित्रांकित किया गया है।
  • नारी आकृति – खिंचे हुए यौवन दीप्ति से परिपूर्ण मुख।
  • पुरूष आकृति – पुरूषां के मुख पर दाढ़ी-मूँछे, तथा मुखाकृति ओज व वीरता से पूर्ण

किशनगढ़ शैली

  • राजस्थान की राज्य प्रतिनिधि चित्र शैली मानी जाती है।
  • भंवरलाल, सूरध्वज आदि चित्रकारों ने इसे खूब बढाया। किशनगढ़ शैली अपनी धार्मिकता के कारण विशवप्रसिद्ध हुई।
  • राजसिंह ने चित्रकार निहालचंद को चित्रशाला प्रबंधक बनाया।
  • राजा सावन्तसिहं का काल (1748- 1764 ई.) किशनगढ़ शैली की द्रष्टि से स्वर्णयुग कहा जा सकता हैं। स्वयं एक अच्छा चित्रकार था एव धार्मिक प्रकृति का व्यक्ति था।
  • अपनी विमाता द्रारा दिल्ली के अन्त:पुर से लाई हुई सेविका उसके मन मे समा गई। इस सुन्दरी का नाम बणी-ठणी था। शीघ्र ही यह उसकी पासवान बन गई।
  • किशनगढ़ के महाराजा सावन्त सिंह का काल इस चित्र शैली का स्वर्णयुग माना जाता है। जो इतिहास में नागरीदास के नाम से प्रसिद्व हुए है।
  • नागरीदास ने अपनी प्रेयसी बणी-ठणी की स्मृति में अनेकों चित्र बनवाये थे।
  • बणी-ठणी का प्रथम चित्र मोर ध्वज निहाल चन्द के द्वारा बनाया गया था।
  • किशनगढ़ शैली को प्रकाश में लाने का श्रेय एरिक डिक्सन व डॉ. फैयाज अली को जाता है।
  • एरिक डिक्सन व कार्ल खंडालवाड़ा की अंग्रेजी पुस्तकों में किशनगढ़ शैली के चित्रों के सम्मोहन और उनकी शैलीगत विशिष्टताओं को विश्लेषित किया गया है।
  • पुरुष आकृति – समुन्नत ललाट, पतले अधर, लम्बी आजानुबाहें, छरहरे पुरुष, लम्बी ग्रीवा, मादक भाव से युक्त नृत्य, नुकीली चिबुक, कमर में दुपट्टा, पेंच बंधी पगड़ी, लम्बा जामा
  • बणी-ठणी को राजस्थान की मोनालिसा कहा जाता है।इस शैली को प्रकाश में लाने का श्रेय डॉ0 फैययाज अली एवं डॉ0 एरिक डिकिन्सन को दिया जाता है।
  • इस शैली की प्रमुख विशेषता ‘नारी सोंदर्य’ है।
  • यह चित्रशैली कांगड़ा शैली एवं ब्रज साहित्य से प्रभावित है
  • इस चित्रशैली का प्रमुख चित्र ‘बणी-ठणी’ है।– चाँदनी रात की संगोष्ठी-चित्रकार अमीरचन्द द्वारा सांवतसिंह के समय बनाया गया चित्र
  • वेसरि (नाक का आभूषण) अनोखा व प्रमुख आभूषण
  • बिहारी चिन्द्रिका रत्नावली, रसिक, रत्नावली और मनोरथ मंजरी आदि काव्यों की सांवत सिंह सेरचना की।
  • इस शैली में सर्वाधिक नारियल का वृक्ष चित्रांकित किया गया है।इस चित्र शैली में किशनगढ़ का स्थानीय गोदाला तालाब भी चित्रांकित किया गया है

नागौर शैली

  • सन् 1700-1750ई के मध्य के सभी चित्र नागौर से मिले हैं। इस द्रष्टि से नागौर शैली का विकास भी 18वीं शताब्दी के प्रारंभ से माना जाता हैं।
  • नागौर शैली के चित्रों मे बीकानेर, अजमेर, जोधपुर, मुगल और दक्षिण चित्र शैली का मिलाजुला प्रभाव है।
  • नागौर शैली मे बुझे हुये रंगों का अधिक प्रयोग हुआ हैं
  • मारवाड़ शैली का दूसरा प्रमुख केन्द्र
  • व्यक्ति चित्रण की परम्परा।
  • शैली का सही और सर्वाधिक स्वरूप नागौर किले के महलों के भित्ति चित्रों में
  • नागौर किले में भित्ति चित्रों की सजावट राजा बख्तसिंह के समय।
  • 1720ई.का ‘ ठाकुर इन्द्र सिंह’ का चित्र इस शैली का उत्कृष्ट चित्र हैं। ‘वृद्धावस्था’ के चित्रों को नागौर के चित्रकारों ने अत्यंत कुशलतापूर्वक चित्रित किया है।
  • शबीहों का चित्रण मुख्य रुप से नागौर मे हुआ है।
  • नागौर शैली की अपनी पारदर्शी वेशभूषा की विशेषता है।

अजमेर शेली

  • 1707 मे महाराजा अजीतसिंह के समय से अजमेर कलम पर जोधपुर शैली का प्रभाव पडने लगा।
  • पुरुषाकृति लंबी, सुन्दर, संभ्रांत एवं ओज को अभिव्यक्ति करने वाली।
  • प्रमुख चित्रकार – चाँद, नबला, तैयव, रायसिंह, लालजी व नारायण भाटी एवं एक महिला चित्रकार साहिबा।
  • प्रमुख रंग – सुहानी रंग योजना (लाल, पीले हरे, नीले के साथ बैंगनी रंग का विशेष प्रयोग होता है।
  • प्रमुख आकृति – लंबे एवं वीरोचित गुणों से युक्त पुरूष, गोल आँखे, लंबी जुल्पफें, बाँकी एवं छल्लेदार मूँछे।
  • नारी आकृति – आकर्षक महिलाएँ, लंबे, घने एवं काले बाल, पैनी अंगुलियाँ, लहंगा, बसेड़ा एवं आकर्षक
  • कानों मे कुंडल, बाली,गले मे मोतियों का हार, माथे पर वैष्णवी तिलक, हाथ मे तलवार, पैरों मे मोचड़ी धारण किये
  • अजमेर शैली के सांमत कला के उदाहरण हैं।
  • 1698 का निर्मित व्यक्ति -चित्र इस कथन का सुन्दर उदाहरण हैं।
  • भिणाय, सावर,मसूदा, जूनियाँ जैसे ठिकाणों मे चित्रण की परम्परा ने अजमेर शैली के विकास और संर्वधृन मे विशेष योगदान दिया।
  • ठिकाणों मे चित्रकार कलाकार करते थे जो जूनियाँ का चाँद, सावर का तैय्यब, नाँद का रामसिंह भाटी, जालजी एवं नारायण भाटी खरवे से, मसूदा से माधोजी एवं राम तथा अजमेर के अल्लाबक्स,उस्ना और साहिबा स्त्री चित्रकार विशेष उल्लेखनीय हैं।

ढूंढाड शैली की शैलीयो का विस्तार - Rajasthan Ki Chitrkalaa

आमेर शैली

  • मुख शासक – मानसिंह एवं मिर्जा राजा जयसिंह
  • 1589 से 1614 ई. तक ‘राजा मानसिंह’के समय मे मुगल साम्राज्य से कछवाहा वंश के संबध बडे़ गहन थे।
  • प्रमुख चित्रकार – हुकुमचंद, मन्नालाल, पुष्पदत्त, मुरली
  • आमेर शैली के प्रारंभिक काल के चित्रित ग्रंथों मे ‘यशोधरा चरित्र’ (1591 ई) नामक ग्रंथ आमेर मे चित्रित हुआ।
  • महाराजा सवाई मानसिंह द्रितीय संग्रहालय मे सुरक्षित ‘रज्मनामा’ (1588 ई) की प्रति अकबर के लिए जयपुर सूरतखाने मे ही तैयार की गई थी।
  • प्रमुख चित्रित ग्रंथ एवं विषय – आदिपुराण, रज्मनामा, भागवत, यशोध्र चरित्र आदि ग्रंथ एवं बिहारी सतसई पर आधरित चित्र
  • इसमें 169 बडे़ आकार के चित्र हैं एवं जयपुर के चित्रकारों का भी उल्लेख हैं।
  • प्रमुख रंग – कालूस, सपफेदा, हिरमिच, गैरू, खड़ी आदि प्राकृतिक रंगों का प्रयोग।
  • सन् 1606 ई.मे निर्मित ‘ आदिपुराण’ भी जयपुर शैली की चित्रकला का तिथियुक्त क्रमिक विकास बतलाती हैं
  • 17वीं शताब्दी दो दशक के आस -पास आमेर-शाहपुरा मार्ग पर राजकीय शमशान स्थली मे ‘ मानसिंह की छतरी ‘ मे बने भित्तिचित्र (कालियादमन, मल्लयोद्रा,शिकार, गणेश, सरस्वती आदि)
  • विशेष तथ्य – इस शैली पर ‘मुगल शैली’ का सर्वाधिक प्रभाव पड़ा है।

जयपुर शैली

  • 1699-1743 ई का युग ‘महाराजा सवाई जयसिंह प्रथम’ का आता हैं। वह कला की प्रगति की द्रष्टि से कई अर्थो मे महत्वपूर्ण रहा।
  • सवाई जयसिंह ने अपने राजचिन्हों, कोषो,रोजमर्रा की वस्तुएं, कला का खजाना, साज-समान आदि को सही ढंग से रखने या संचालित करने लिये ‘ छतुस कारखानो ‘ की स्थापना की।
  • जयपुर चित्रशैली की मुख्य विशेषता आदमकद, बड़े पोट्रेट एवं भित्ति चित्रण है।
  • सहिबरामचित्रकार ने ईश्वरी सिंह का आदमकद चित्र बनाया।
  • जयपुर शैली पर ‘मुगल शैली’ का सर्वाधिक प्रभाव दिखाई देता है।– इस चित्रशैली में पीपल, बड़, घोड़ा व मयूर एवं नीले बादलों का अंकन मुख्य विशेषत रही है।– इसमें चांदी, सोना जस्ता व मोतियां का प्रयोग।
  • असावरी रागिनी-जयपुर शैली का शबरी का चित्र जिसमें उसके केंशों, अल्प कपड़ों व चन्दन
  • ‘सूरतखाना’ भी एक था उसमे चित्रकार चित्रो का निर्माण करते थे। इस समय मे ‘ रसिकप्रिय ‘, कविप्रिया’, ‘ गीत-गोविन्द,’ ‘बारहमासा,’ ‘,नवरस’, और ‘ रागमाला ‘ चित्रो का निर्माण हुआ था। ये सभी चित्र मुगलिया प्रभाव लिये थे।
  • मछली के समान व मादक नेत्रों वाले स्त्री चित्र, कमर तक फैले बालइस शैली में हरे रंग की प्रधानता है।
  • दरबारी चित्रकार ‘ मोहम्मद शाह ‘ व साहिबराम ‘ थे।
  • जयसिंह के दरबारी कवि ‘ शिवदास राय’ द्रारा ब्रज भाषा मे तैयार की गई सचित्र पांडुलिपि ‘ सरस रस ग्रंथ’ (1737 ई.) हैं, जिसमे कृष्ण विषयक चित्र 39पृष्ठो पर अंकित हैं। सवाई जयसिंह के बाद पुत्र ‘महाराजा सवाई ईशवरीसिंह’ 1743-1750 ई.तक गद्दी पर बैठे।
  • चित्र सृजन का केंद्र (सूरतखाना) आमेर से हट कर जयु आ गया । सांगानेर मे हाथो द्रारा कागज निर्माण होता हैं।

अलवर शैली

  • अलवर चित्र शैली पर सर्वाधिक मुगल चित्र शैली का प्रभाव पड़ा है।
  • अलवर चित्रशैली की सबसे प्रमुख विशेषता ‘गणिकाओं के चित्र’ है
  • बलवन्तसिंह’ 1827-1866 ई ने 23 वर्ष के राजकाल मे कला की जितनी सेवा की, वह अलवर के इतिहास मे अविस्मरणीय रहेंगी। वै कला प्रेमी शासक थे। इनके दरबार मे ‘सालिगराम ‘ जमनादास ,छोटेलाल, बकसाराम, नन्दराम आदि कलाकारों ने जमकर पोथी चित्रो, लघुचित्रों एवं लिपटवाँ पटचित्रो का चित्रांकन किया ।
  • यह चित्रशैली ईरानी, मुगल एवं जयपुरी शैली का समन्वित रूप है।
  • इस शैली मे हाथी दाँत पर चित्र बनाने के लिए मूलचंद नामक चित्रकार प्रसिद्ध है
  • यह शैली बार्डर चित्रण के लिए प्रसिद्ध
  • यह शैली सन् 1775 ई.मे जयपुर से अलग होकर ‘राव राजा प्रतापसिंह’ के राजत्व मे स्वंत्रत अस्तित्व प्राप्त कर सकी।
  • अलवर कलम जयपुर चित्रकला की एक उपशैली मानी जाती हैं। उनके राजकाल मे ‘ शिवकुमार’और ‘डालूराम’ नामक दो चित्रकार जयपुर से अलवर आये।
  • अलवर चित्र शैली राजस्थान की एकमात्र ऐसी चित्र शैली है जिसमें मुगल गणिकाओं के भी चित्र बने है।
  • महाराजा बख्तावर सिंह के काल में अलवर चित्र शैली को मौलिक स्वरूप प्राप्त हुआ था।
  • महाराजा विनय सिंह का काल अलवर चित्र शैली का स्वर्ण युग था।
  • विनयसिंह के काल मे संत शेख सादी की पुस्तक गुलिस्तां की पांडुलिपी को भारतीय फारसी शैली में गुलाम अली ने चित्रांकित किया था।
  • राजस्थान में मुगल बादशाहों के चित्र भी केवल अलवर चित्र शैली में बने।

उनियारा शैली

  • आमेर के कछवाहों मे नरुजी के वंशज ‘ नरुका’ कहलाते थे।
  • उनियारा जयपुर और बूँदी रियासतों की सीमा पर बसा है।
  • बूँदी एवं उनियारा के रक्त संबंध अथवा वैवाहिक संबंधों के कारण उनियारा पर उसका प्रभाव भी पडा़ शनै: शनै: एक नयी शैली का प्रादुर्भाव हुआ, जिसे उनियारा शैली के नाम से जाना गया
  • इन्ही की वंश परम्परा मे ‘ राव चन्द्रभान’ 1586- 1660 ई.ने मुगल पक्ष मे कान्धार युद्ध 1660 ई.मे अत्यधिक शौर्य प्रदर्शित किया। इससें प्रसन्न होकर मुगल बादशाह ने इनको ‘उनियारा’ ,नगर, ककोड़, और बनेठा के चार परगने जागीर मे दिये।

हाडोती स्कूल की शैलीयो का विस्तार - Rajasthan Ki Chitrkalaa

बूंदी शैली

  • हाड़ौती की सबसे प्राचीन चित्र शैली है।
  • इस चित्रशैली मे रेखाओं का सर्वाधिक अंकन होता है।– यह शैली ईरानी, दक्षिणी, मराठा एवं मेवाड़ शैली से प्रभावित है।
  • बूॅंदी चित्र शैली में सर्वाधिक पशु-पक्षी एवं पेड़ों के चित्र बने है।
  • पशु-पक्षियों को सर्वाधिक महत्व इसी चित्र शैली में दिया गया है।
  • इस चित्रशैली मे पशु पक्षियों का चित्रण बहुलता से हुआ है।
  • शत्रशाल (छत्रशाल) (1631-58) द्वारा निर्मित रंगमहल भित्ति चित्रण के लिए प्रसिद्ध
  • बूॅंदी चित्र शैली में सर्वाधिक धार्मिक कथानकों पर चित्र बने है।
  • बूॅंदी चित्र शैली में सर्वाधिक चम्पा के वृक्षों का चित्रांकित किया गया है।
  • बूॅंदी चित्र शैली में लाल पीले एवं हरे रंगों को महत्व दिया गया है।
  • महाराव उम्मेदसिंह के शासन काल में चित्रकला का अत्यधिक विकास हुआ। महाराव विशनसिंहके समय शेरों के शिकार के चित्र बने।
  • राव सुर्जन सिंह हाड़ा के काल में बूॅंदी चित्र शैली का सर्वाधिक विकास हुआ।
  • इस शैली मे मुख्यतः सरोवर, केले एवं खजूर के वृक्षों का चित्रण किया गया है।
  • महाराव उम्मेद सिंह के काल में बना चित्रशाला इस शैली का सबसे श्रेष्ठ उदाहरण है।
  • बूॅंदी चित्र शैली से ही कोटा चित्र शैली का उद्धभव हुआ है।
  • राव रतनसिंह को चित्रकला प्रेम के कारण जहांगीर ने सर बुलन्दराय की उपाधि् प्रदान की।

कोटा शैली

  • महारावल रामसिंह व राजा उम्मेदसिंह कोटा शैली के आश्रयदाता थे।
  • रामसिंह ने कोटा शैली को स्वतंत्र अस्तित्व प्रदान किया।प्रमुख चित्र – कृष्ण लीला, राग-रागिनियाँ, बारहमासा, दरबारी दृश्य, आखेट दृश्यप्रमुख
  • राव उम्मेदसिंह बूंदी शैली राजस्थान की विचारधारा का प्रारंभिक केंद्र था
  • राव उम्मेदसिंह के समय बूंदी शैली का सर्वाधिक विकास हुआ।
  • इस शैली का राव उम्मेदसिंह द्वारा जंगली सूअर का शिकार करते हुए एक चित्र प्रसिद्ध है जिसका निर्माण 1750 ई में हुआ। इस शैली में शिकार के चित्र हरे रंग में बनाये गये है।
  • चित्रकार – गोविन्दराम, डालूराम, लच्छीराम, नूर मोहम्मद।
  • नायिक-नायिका, बारहमासा, ऋतु चित्रण, भागवत पुराण पर आधारित कवियों की रचनाओं से सम्बंधित चित्र मिले
  • बिजली की कौंध, घनगोर वर्षा, हरे भरे पेड़।
  • कोटा शैली में प्रमुखत: पशु-पक्षी में शेर व बत्तख का चित्रण मिलता है।
  • कोटा शैली का सर्वाधिक सर्वश्रेष्ठ उदाहरण ‘आखेट दृश्य’ है।कोटा शैली में मुख्यतः नीले रंग की प्रधानता है।
  • कोटा शैली में मुख्यतः खजूर के वृक्ष को दर्शाया है।
  • पशु-पक्षी अर्थात बूंदी चित्र शेली को पुश-पक्षियों वाली चित्र शैली भी कहा जाता है।,
  • दरबारी दृश्य , अन्तःपुर या रनिवास के भोग विलास युक्त जीवन ,शिकार, होली, युद्ध के चित्र मिले।
  • कोटा शैली पर वल्लभ सम्प्रदाय का प्रभाव देखने को मिलता है।
  • प्रकृति- आकाश में उमड़ते हुये काले बादल
  • महाराव रामसिंघ के समय बूंदी शैली से स्वतंत्र कोटा शैली का उद्भव हुआ।
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राजस्थानी चित्रकला में बारहमासा चित्रण की परंपरा


राजस्थान की लगभग सभी चित्र शैलियों में बारहमासा का चित्रांकन हुआ है बारहमासा में वर्ष के 12 महीनों में भिन्न भिन्न प्रकार से बदलते प्रकृति के रंगों का चित्रण किया जाता है साथ ही वहां के वीरता पूर्ण कृत्य एव उलास पूर्ण जीवन को भी चित्रित किया जाता है डॉक्टर के स्वामी के अनुसार राजपूत शैली संसार की सुंदरता चित्र शैलियों में से एक है वास्तव में इन चित्रों का विषय जन हृदय और काव्य से सरोबार है

राजस्थानी चित्रकला में पशु पक्षियों का अंकन - Rajasthan Ki Chitrkalaa In Hindi

राजस्थानी चित्रकला में पशु पक्षियों के चित्रण के प्राचीनतम साक्ष्य जैन ग्रंथ नेमिनाथ रसों की चित्रावली में मिले हैं जब भगवान नेमिनाथ अपने विवाह के अवसर पर पशु पक्षियों का वध देखते हैं तो गृह त्याग करके वितराग बन जाते हैं

राजस राजस्थानी भाषा की एक कथा सूझा बहतरी संस्कृत भाषा में शुक द्वास्प्तिका का अनुवाद पर आधारित मुगल शैली की एक महत्वपूर्ण चित्रावली आज भी अमेरिका के क्लीवलैंड संग्रहालय में सुरक्षित है इस कथा में शुक़ तोता नायक है इसी प्रकार पद्मावत की कथा पर आधारित है चित्रों में हीरामन तोते का चित्रांकन बहुतायत में हुआ है

राजस्थानी चित्रकला में पशु पक्षियों का सर्वाधिक अंकन बूंदी शैली में हुआ है यहां पर महाराजा रामसिंह के शासनकाल में पालतू एवेनेल पशु पक्षियों का सुंदर चित्रण हुआ है यह चित्र शैली कबूतरों के अंकन के लिए विशेष रूप से जानी जाती है उदयपुर के राजमहलो में हाथियों की लड़ाई का एक चित्र 1766 ईस्वी में चित्रित लगा हुआ है हाथियों के रोगों पर आधारित एक चित्रित ग्रंथ उदयपुर के राजस्थान ओरिएंटल इंस्टिट्यूट में सुरक्षित है

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राजस्थान में आधुनिक चित्रकला का विकास

राजस्थान में आधुनिक चित्रकला का प्रारंभ बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में हुआ इस काल में अमूर्त चित्रकला एवं यथार्थवादी चित्रकला जैसी नई शैलियों का प्रादुर्भाव हुआ राजस्थान के आधुनिक चित्रकला के जनक राम गोपाल विजयवर्गीय माने जाते हैं जयपुर स्थित जवाहर कला केंद्र राजस्थान में चित्रकारों को संरक्षण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है

राजस्थान के प्रमुख आधुनिक चित्रकार -

पदम श्री स्व रामगोपाल विजयवर्गीय - राजस्थान में आधुनिक चित्रकला के सटीक हस्ताक्षर श्री रामगोपाल का जन्म 1905 ईस्वी में सवाई माधोपुर जिले के बालेर गांव में हुआ था स्व विजयवर्गीय को परंपरावादी चित्रकार के रूप में ख्याति मिली 2003 में रामगोपाल विजयवर्गीय का निधन हो गया

स्व श्री भूर सिंह शेखावत गांव का चितेरा - बीकानेर जिले के धुंधलिया गांव में 1914 में जन्मे भूर सिंह शेखावत को राजस्थानी जन जीवन के यथार्थ चित्रकार के रूप में ख्याति मिली श्री शेखावत प्रसिद्ध जेजे स्कूल के छात्र हैं

गोवर्धन लाल बाबा भीलो का चितेरा - राजसमंद जिले के कांकरोली में 1914 में जन्मे गोवर्धन लाल बाबा ने मेवाड़ी वीर संस्कृति को अपनी तूलिका से जीवंत रूप में चिंतन किया बाबा का प्रसिद्ध चित्र बारात है

श्री कृपाल सिंह शेखावत ब्लू पॉटरी के जादूगर - सीकर जिले के मऊ गांव में जन्मी कृपाल शेखावत अशोक भूर सिंह शेखावत के शिष्य हैं राजस्थान में ब्लू पॉटरी के पुनरद्वार करता है श्री शेखावत का कार्य क्षेत्र जयपुर है आपने जयपुर की ब्लू पॉटरी को देश-विदेश में बनाया है श्री कृपाल ने इसमें 25 रंगों का प्रयोग करके कृपाल शैली का विकास किया

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi
राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

1 किशनगढ़ शैली का प्रसिद्ध चित्रकार कौन था
उत्तर- नागरीदास
2 किस का शासन काल जोधपुर शैली का स्वर्ण काल माना जाता है
उत्तर- जसवंत सिंह का
3 राज्य में उस्ताद कहलाने वाले चित्रकारों ने भित्ति चित्र किस नगर में बनाएं
उत्तर- बीकानेर
4 प्रसिद्ध चितेरे वीर जी नारायण दास रतन जी भाटी शिवदास इत्यादि का संबंध किस चित्रकला शैली से हैं
उत्तर- जोधपुर शैली
5 किसके शासनकाल में जोधपुर शैली का उद्भव हुआ था
उत्तर- मालदेव

राजस्थान की चित्रकला के Question - राजस्थान की चित्रकला के प्रश्न

6 भित्ति चित्रण की दृष्टि से कहां की हवेलियां प्रसिद्ध है
उत्तर- शेखावाटी
7 राज्य का कौन सा क्षेत्र भित्ति क्षेत्रों की दृष्टि से संपन्न है
उत्तर- कोटा- बूंदी
8 मंडावा क्यों प्रसिद्ध है
उत्तर- भित्ति चित्रों के लिए
9 देवगढ़ शैली को प्रकाश में लाने का श्रेय किसे प्राप्त है
उत्तर- डॉ श्री धर अंधारे को
10 किस चित्रकला शैली में जोधपुर जयपुर उदयपुर तीनों शेलियों के गुण देखने को मिलते हैं
उत्तर- देवगढ़

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राजस्थान की चित्रकला के Question - राजस्थान की लोक चित्रकला

11 महाराणा अमर सिंह के शासनकाल में नसरुद्दीन द्वारा चित्रित राग माला किस चित्रकला शैली का प्रमुख ग्रंथ है
उत्तर- चावंड शैली
12 शवानों के चितेरे के नाम से प्रसिद्ध जयपुर के युवा चित्रकार कौन है
उत्तर- मास्टर कुंदन लाल मिस्त्री
13 एक जर्मन पर्यटक आपसे जर्मन चित्रकार ए एच मूलर द्वारा निर्मित चित्र देखने की ख्वाहिश करता है आप उसे किस संग्रहालय की यात्रा करने का सुझाव देंगे
उत्तर- बीकानेर संग्रहालय
14 राजस्थान की आधुनिक चित्रकला के जनक कौन है
उत्तर- रामगोपाल विजयवर्गीय
15 गणिकाओ वेश्याओं के चित्र किस चित्रकला शैली की प्रमुख विशेषता है
उत्तर- अलवर शैली

राजस्थान की चित्रकला के - राजस्थान की चित्रशैलियाँ प्रश्न

16 राजस्थान के किस क्षेत्र में भित्ति चित्रों का वृहद स्तर पर चित्रांकन हुआ है
उत्तर- हाड़ौती
17 किसके शासनकाल में किशनगढ़ चित्रकला शैली अपने चरम पर थी
उत्तर- राजा नागरीदास
18 मेवाड़ में राग माला रसिकप्रिया गीत गोविंद जैसे विषयों पर लघु चित्र शैली किस शासक के काल में चरम सीमा पर थी
उत्तर- महाराणा जगतसिंह
19 राजस्थानी विचारधारा की चित्रकला का आरंभिक मुख्य केंद्र कौन सा था
उत्तर- बीकानेर
20 योगासन किस चित्रकला शैली का प्रमुख विषय रहा है
उत्तर- अलवर

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

21 किस चित्रकला में रानियों को भी शिकार करते हुए दर्शाया गया है
उत्तर- कोटा शैली
22 पशु पक्षियों को महत्व देने वाले स्कूल ऑफ पेंटिंग का नाम क्या है
उत्तर- बूंदी शैली
23 निहालचंद किस चित्र शैली के कलाकार थे
उत्तर- किशनगढ़ शैली
24 प्रसिद्ध चित्र करती ढोला मारू की शैली कोनसी है
उत्तर- जोधपुर
25 चावंड शैली के प्रसिद्ध चितेरे नसीरुद्दीन नासर्दी ने राग माला का चित्रण किस शासक के सरंक्षण में किया था
उत्तर- अमरसिंह प्रथम

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi
राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

राजस्थान की चित्रकला के Question - राजस्थान की चित्रकला PDF Download

26 किस चित्रकला शैली में ईरानी मुगल व जयपुर शैली का संबंध दृष्टिगत होता है
उत्तर- अलवर शैली
27 आदम कद चित्र पोट्रेट किस चित्रकला शैली की मुख्य विशेषता है
उत्तर- जयपुर शैली
28 मुगल शैली से सर्वाधिक प्रभावित चित्रकला शैली कौन सी है
उत्तर- जयपुर शैली
29 नाथद्वारा चित्रकला शैली का प्रधान विषय क्या है
उत्तर- कृष्ण शैली
30 किसके शासनकाल में स्वतंत्र नाथद्वारा शैली का उद्भव हुआ था
उत्तर- राज सिंह

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

31 पिछवाई चित्रांकन किस चित्र शैली की विशेषता है
उत्तर- नाथद्वारा
32 पिछवाई कला कृतियों में बने चित्र उद्धत किससे किए गए हैं
उत्तर- भगवान कृष्ण के जीवन से
33 राजस्थान में भित्ति चित्रों को चिरकाल तक जीवित रखने के लिए एक आलेखन पद्धति है जिसे क्या कहा जाता है
उत्तर- आरायश
34 पिछवाई का चित्रण का मुख्य विषय क्या है
उत्तर- श्री कृष्ण लीला
35 उदयपुर शैली मेवाड़ शैली का सबसे प्राचीन चित्र श्रावण प्रतिक्रम चूर्णी का चित्रांकन रावल तेज सिंह के शासनकाल में किसने करवाया
उत्तर- कमल चन्द्र

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

36 मेवाड़ शैली के चित्रकार साहिब्दीन द्वारा बनाए गए चित्र कौन-कौन से हैं
उत्तर- रसिकप्रिया, गीत गोविंद, राग माला
37 मनोहर व साहिब्दीन द्वारा चित्रित आर्ष रामायण किस चित्र शैली का चित्र है
उत्तर- उदयपुर शैली
38 जयपुर राज्य के कारखाने का नाम जहां कलाकार चित्र और लघु चित्र बनाते थे
उत्तर- सुरत खाना
39 रामा नाथा छज्जू और सेफू चित्रकला की किस शैली से संबंधित चित्रकार है
उत्तर- जोधपुर शैली
40 जमुनादास छोटेलाल बक्सा राम व नंद लाल चित्रकला की किस शैली से संबंध है
उत्तर- अलवर शेली

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

41 बुझे हुए रंगों का प्रयोग एवं पारदर्शी ओढ़नियों का चित्रांकन किस चित्रकला शैली की मुख्य विशेषता है
उत्तर- नागौर शैली
42 मूमल किस चित्रकला शैली का मुख्य प्रमुख चित्र है
उत्तर- जैसलमेर
43 बाहरी शैलीयों में से सबसे कम प्रभावित चित्रकला शैली कौन सी है
उत्तर- जैसलमेर
44 राजस्थान की मोनालिसा कहां जाने वाली चित्र बनी ठनी का संबंध किस चित्रकला शैली से हैं
उत्तर- किशनगढ़ शैली
45 राजस्थान में किशनगढ़ शैली को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति किसे प्राप्त है
उत्तर- एरिक दिक्सन

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

46 कांगड़ा व बृज शैलियों से प्रभावित चित्रकला शैली कौन सी है
उत्तर- किशनगढ़
47 राज्य में किशनगढ़ शैली का प्रधान विषय क्या है
उत्तर- नारी सौंदर्य
48 अमरचंद द्वारा चित्रित चांदनी रात की संगीत गोष्टी किस चित्र शैली की प्रमुख चित्र है
उत्तर- किशनगढ़
49 श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णी ग्रंथ किस चित्र शैली का आदि ग्रंथ माना गया है
उत्तर- मेवाड़ चित्र शैली
50 पोथी खाना चित्र कला संग्रहालय कहां पर स्थित है
उत्तर- जयपुर

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi
राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

Rajasthan Ki Chitrkalaa Question In Hindi

51 राज्य में ऊंट की खाल पर चित्रांकन किस चित्र शैली की मुख्य विशेषता है
उत्तर- बीकानेर शैली
52 नुकीली नाक लंबा कद खींचा हुआ वक्ष स्थल पारदर्शी वस्तुओं का अंकन किस चित्र शैली की विशेषता है
उत्तर- किशनगढ़ शैली
53 चितेरे की ओवरी तस्वीरा रो कारखाने नामक कला विद्यालय के संस्थापक कौन थे
उत्तर- महाराणा जगत सिंह ने
54 किसका शासन काल मेवाड़ शैली का स्वर्ण काल माना जाता है
उत्तर- महाराणा जगतसिंह
55 उनियारा उप शैली किस स्कूल की उप शैली है
उत्तर- ढूंढाड स्कूल

राजस्थान की चित्रकला के Question - Rajasthan Ki Chitrkalaa

56 बनी ठनी चित्र ग्रंथ किस चित्रकार का है
उत्तर- निहालचंद
57 राजस्थान पेंटिंग्स नामक पुस्तक जिसमें पहली बार राजस्थानी चित्रकला शैली का वैज्ञानिक विभाजन किया किसके द्वारा लिखी गई
उत्तर- आनन्द कुमार स्वामी
58 राजस्थानी चित्रकला का स्वतंत्र विकास कब हुआ
उत्तर- 15 वी शताब्दी
59 राज्य में रेखाओं का सर्वाधिक व सशक्त अंकन किस चित्र शैली की विशेषता है
उत्तर- बूंदी शैली
60 कृष्ण दला राम दला की फढ़ किस क्षेत्र में अधिक लोकप्रिय है
उत्तर- हाड़ौती

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

61 पाबूजी की फड़ का वाचन करते समय किस वाद्य का प्रयोग किया जाता है
उत्तर- कमायचा
62 रामदेव जी के फड का वाचन किस जाति के भोपो द्वारा किया जाता है
उत्तर- कामड
63 कृष्ण दला राम दला की फड़ का वाचन करते समय किस वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है
उत्तर- किसी भी वाद्य यंत्र का प्रयोग नहीं
64 राज्य की सबसे लोकप्रिय पर कौन सी है
उत्तर- पाबूजी की पड़
65 राज्य मे मोरनी मांडना का संबंध किस जनजाति से हैं
उत्तर- मीणा

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

66 सबसे प्राचीन व सबसे लंबी फड़ कौन सी है
उत्तर- देवनारायण जी की फड़
67 कुंवारी कन्याओं द्वारा अच्छे वर की कामना करने के लिए श्राद्ध पक्ष में क्या बनाई जाती है
उत्तर- सांझी
68 फड़ चित्रण की सिद्धहस्त महिला चितेरा कौन है
उत्तर- पार्वती जोशी
69 राज्य में वह स्थान जहां का जोशी परिवार चित्रण में सिद्धहस्त है
उत्तर- शाहपुरा
70 विवाह के अवसर पर लग्न मंडप में बनाया जाने वाला माडना क्या कहलाता है जिसे वर वधु के सुखी दांपत्य जीवन का प्रतीक माना जाता है
उत्तर- ताम

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

71 राज्य में मछंदर नाथ का मंदिर जिसे संध्या का मंदिर कहते हैं कहां पर स्थित है
उत्तर- उदयपुर
72 कागज पर निर्मित विभिन्न देवी-देवताओं के बड़े आकार के चित्र क्या कहलाते हैं
उत्तर- पाने
73 राज्य में किस जनजाति में लड़की के विवाह के अवसर पर दीवार पर लोक देवी का चित्र भराड़ी उकेरने की परंपरा है
उत्तर- भील
74 किस स्थान की केले की संझया प्रसिद्ध है
उत्तर- नाथद्वारा
75 राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले का कौन सा कस्बा कावड़ बनाने हेतु प्रसिद्ध है
उत्तर- बस्सी

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi
राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

76 कठपुतली के खेल में प्रमुख पात्र क्या कहलाते हैं
उत्तर- स्थानक
77 कठपुतली कला को अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाने का श्रेय किसे जाता है
उत्तर- देवीलाल सामर
78 राजस्थान में किस स्थान की मेहंदी विश्व प्रसिद्ध है
उत्तर- सोजत
79 राज्य में हरा रंग किस शैली में प्रधान रंग रहा है
उत्तर- बूंदी शैली
80 मधेरन व उस्ता कलाकारों ने किस शैली को पल्लवित और पुष्पित किया
उत्तर- बीकानेरी शैली

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

81 राज्य में स्वर्ण एवं चांदी का प्रयोग किस शैली में शुरू हुआ था
उत्तर- हाड़ौती शैली
82 वेसरी किस शैली का प्रमुख आभूषण है
उत्तर- किशनगढ़ शैली
83 राजस्थानी चित्रकला की किस शैली में पशु पक्षियों का सर्वाधिक अंकन हुआ है
उत्तर- उदयपुर शैली
84 उत्तर पश्चिमी राजस्थान में घरों में दैनिक उपयोग की छोटी मोटी वस्तुओं रखने के लिए बनाई गई महल नुमा आकृति क्या कहलाती है
उत्तर- विल
85 नीड का चितेरा किसे कहते हैं
उत्तर- सोभागमल गहलोत

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

86 भैंसों का चितेरा किसे कहते हैं
उत्तर- गोवर्धन लाल बाबा
87 भीलो का चितेरा किसे कहते हैं
उत्तर- परमानंद चोयल
88 गांव का चितेरा किसे कहते हैं
उत्तर- भूर सिंह शेखावत
89 किशनगढ़ शैली का स्वर्ण काल किसके शासनकाल को माना जाता है
उत्तर- सावंत सिंह का शासनकाल
90 जयपुर शैली का स्वर्ण काल किसके शासनकाल को माना जाता है
उत्तर- प्रताप सिंह का शासनकाल

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

91 अलवर शैली का स्वर्ण काल किसके शासनकाल को माना जाता है
उत्तर- विनय सिंह का शासनकाल
92 बीकानेर शैली का स्वर्ण काल किसके शासनकाल को माना जाता है
उत्तर- अनूप सिंह का शासनकाल
93 हिरण की आंखो के समान बनावट किस चित्रकला शैली की विशेषता है
उत्तर- नाथद्वारा
94 मछली की आंखो के समान बनावट किस चित्रकला शैली की विशेषता है
उत्तर- जयपुर
95 बादाम की आंखों के समान बनावट किस चित्रकला शैली की विशेषता है
उत्तर- जोधपुर

राजस्थान की चित्रकला के Question In Hindi

96 आम्र प्राण की आंखों के समान बनावट किस चित्रकला शैली की विशेषता है
उत्तर- बूंदी
97 पोथी खाना कहां पर स्थित है
उत्तर- जयपुर
98 जैन भंडार कहां पर स्थित है
उत्तर- जैसलमेर
99 सरस्वती भंडार कहां पर स्थित है
उत्तर- उदयपुर
100 पुस्तक प्रकाश कहां पर स्थित है
उत्तर- जोधपुर

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लेखक: Sincere Taak

मेरा नाम पंकज टाक है और मैं इस ब्लॉग का संस्थापक हूँ, मैं राजस्थान का निवासी हूँ। हमने अपने देश और देश के लोगों की मदद करने के लिए इस वेबसाइट को बनाया है।
यहां यह वर्णन करना मुश्किल है कि मैं दूसरों की मदद करने के काम में कितना खुश हूं। मेरा यह जुनून दिन-प्रतिदिन बढ़ता रहा और बाद में मैंने इसके लिए इंटरनेट चुना।

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