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राजस्थान की नदियाँ | Rajasthan Ki Nadiya In Hindi
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राजस्थान की नदियाँ | Rajasthan Ki Nadiya In Hindi - विवरण
आंतरिक प्रवाह की नदियाँ - काकनी, काँतली, साबी, घग्घर, मेन्था, बाण्डी, रूपनगढ़ आदि | जो कुछ दूरी तक प्रवाहित होकर राज्य में अपने प्रवाह क्षेत्र में ही विलुप्त हो जाती हैं तथा जिनका जल समुद्र तक नहीं जा पाता है, इन्हें आंतरिक जल प्रवाह की नदियाँ कहा जाता है।
बंगाल की खाड़ी की नदियाँ - चम्बल, बनास, ,काली सिंध, पार्वती, बाणगंगा, खारी, बेड़च, गंभीर आदि | ये सभी नदियाँ अपना जल यमुनानदी के माध्यम से बंगाल की खाड़ी में ले जाती हैं।
अरब सागर की नदियाँ - माही, सोम,जाखम, साबरमती, पश्चिमी बनास, लूनी आदि | कच्छ के रन से गुजरते हुए अरब सागर में जल ले जाने वाली नदियाँ
- राजस्थान की अधिकतम नदियाँ बरसाती नदियाँ हैं। बनास, चम्बल, माही, लूनी, बाणगंगा, कोठारी, बेड़च आदि प्रदेश की मुख्य नदियाँ हैं। यहाँ नित्यवाही (साल भर बहने वाली या बारहमासी) नदियों की बहुत कमी है। केवल चंबल व माही ही साल भर प्रवाहित होने वाली नदियाँ मानी जाती हैं। साथ ही राजस्थान का भूगोल लेखक श्रीहरिमोहन सक्सेना में केवल चंबल नदी को ही हमेशा (वर्ष भर बहने वाली) नदी बताया गया है |
- राज्य की नदियों को 13 प्रमुख जलग्रहण क्षेत्रों एवं 59 उप क्षेत्रो में बांटा गया है
- अपवाह क्षेत्र के आधार पर राज्य की नदियों को तीन भागों में बांटा जा सकता है आंतरिक अपवाह प्रणाली, अरब सागर अपवाह प्रणाली, बंगाल की खाड़ी अपवाह प्रणाली
- राजस्थान में देश में विद्यमान कुल जल संसाधन का मात्र 1% उपलब्ध है यहां सतही जल का एकमात्र स्त्रोत वर्षा का जल है
- महान भारतीय जल विभाजक रेखा जो अरब सागरीय अपवाह तंत्र को बंगाल की खाड़ी के अपवाह तंत्र से अलग करती है
- राजस्थान में अरावली के उतरी अक्स के सहारे अलवर से प्रारंभ होकर सांभर झील अजमेर ब्यावर देवगढ़ कुंभलगढ़ उदयसागर उदयपुर बड़ी सादड़ी प्रतापगढ़ होते हुए मध्य प्रदेश में प्रवेश कर जाती है
- राज्य के मध्य भाग में स्थित अरावली पर्वत श्रृंखला भारत के महान जल विभाजक का कार्य करती है तथा प्रदेश की अपवाह प्रणाली (नदियों) को निम्न दो भागों में विभाजित करती है- बंगाल की खाड़ी में जल ले जाने वाली नदियाँ, अरब सागर में जल ले जाने वाली नदियाँ
- अरावली के पूर्वी भाग में चम्बल, बनास, काली, सिंध, पार्वती, बाणगंगा, खारी, बेड़च, गंभीर आदि नदियाँ विद्यमान है। इनमें से कुछ नदियों का उद्गम स्थल अरावली का पूर्वी ढाल है तथा कुछ का मध्यप्रदेश स्थित विन्ध्याचल पर्वत है। इनमें चम्बल के अलावा अन्य सभी नदियों में जल वर्षा पर निर्भर है।
- वर्षा पर निर्भर होने के कारण वर्षा होने पर इनमें पर्याप्त मात्रा में जल प्रवाहित होता है तथा कई-कई बार तो भयंकर बाढ़ें भी आ जाती हैं। वर्षाऋतु की समाप्ति के बाद धीरे-धीरे इनमें जल का प्रवाह भी सूख जाता है। इनमें चम्बल ही एक बारहमासी नदी है जिसमें वर्ष भर जल प्रवाहित होता रहता है। इसीलिए इस पर जगह-जगह बाँध बनाकर न केवल जल का उपयोग किया जाता है बल्कि विद्युत भी उत्पन्न की जाती है। यह नदी पथरीले चट्टानो में से होकर प्रवाहित होती है।
- माही, सोम, जाखम, साबरमती, पश्चिमी बनास, लूनी आदि अरब सागर में जल ले जाने वाली नदियाँ है। पश्चिमी बनास व लूनी नदी गुजरात में कच्छ के रन में विलुप्त हो जाती हैं। इसमें से अधिकतम नदियाँ अरावली के पश्चिमी भाग में प्रवाहित होती हैं जो कि एक वृष्टिछाया प्रदेश है। इस प्रदेश में वर्षा की मात्रा कम होने के कारण इन नदियों में पानी बहुत कम अवधि के लिए ही प्रवाहित रहता है साथ ही मरु प्रदेश में होकर बहने के कारण ये कालान्तर में अपना रास्ता भी परिवर्तित कर लेती हैं।
- अरब सागर में जल ले जाने वाली नदियों में केवल माही नदी ही साल भर बहने वाली नदी है जिसमें वर्ष भर कम मात्रा में जल प्रवाहित रहता है। इनके अलावा कुछ छोटी नदियाँ भी हैं, ये नदियाँ हैं -काकनी, काँतली, साबी, घग्घर, मेन्था, बाण्डी, रूपनगढ़ आदि। राज्य में चुरू व बीकानेर ऐसे जिले हैं, जहाँ कोई नदी नहीं है। गंगानगर में यद्यपि पृथक से कोई नदी नहीं है लेकिन वर्षा होने पर घग्घर की बाढ़ का पानी सूरतगढ़ व अनूपगढ़ तक तथा कभी-कभी फोर्ट अब्बास (बहावलपुर, पाकिस्तान) तक चला जाता है।
- राज्य के लगभग 60 प्रतिशत भू-भाग पर आंतरिक जल प्रवाह की नदियों का विस्तार है। आंतरिक प्रवाह का अधिकांश क्षेत्र अरावली पर्वतमाला के पश्चिमी भाग में पाया जाता है। कुछ आंतरिक प्रवाह की नदियाँ साबी, रूपारेल आदि पूर्वी राजस्थान में भी प्रवाहित होती हैं राजस्थान में पाई जाने वाली लवणीय (खारी) झीलों का क्षेत्र इस आंतरिक जल प्रवाह क्षेत्र का ही हिस्सा है।
- राज्य के विकास में नदियों ने विशेष भूमिका निभाई है नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से भूमि का उपजाऊ तथा परिवहन के साधन के रूप में उपयोगी है
- राजस्थान में चंबल को छोड़कर शेष सभी नदियां मौसमी है
- राज्य का 60.2 प्रतिशत भू भाग इसके अंतर्गत आता है इस क्षेत्र की नदियां या तो किसी लवणीय झील में गिर जाती है या फिर रेतिली मरुस्थल में विलीन हो जाती है
- राज्य की कुछ नदियां प्रवाह क्षेत्र में ही विलुप्त हो जाती है अतिरिक्त जल प्रवाह की नदियां कहा जाता है
- राजस्थान के संपूर्ण अपवाह तंत्र को निम्न तीन भागों में विभाजित किया जासकता है- 1. बंगाल की खाड़ी में जल प्रवाहित करने वाली नदियाँ 2. अरब सागर में जल प्रवाहित करने वाली नदियाँ 3. आन्तरिक अपवाह तंत्र।
आंतरिक प्रवाह की नदियाँ - Rajasthan Ki Nadiya
घग्घर -
- उद्गमः- यह हिमाचल प्रदेश में कालका, शिमला के पास शिवालिक की पहाड़ियों से निकलती है। यह पौराणिक काल में सरस्वती नदी की सहायक नदी थी। इस नदी का अपवाह तंत्र काफी अव्यवस्थित रूप लिए हुए है।
- इसका उद्गम स्थल सीकर जिले में खंडेला की पहाड़ियाँ हैं। इसका बहाव क्षेत्र तोरावाटी कहलाता है।
- ताम्रयुगीन प्रसिद्ध गणेश्वर सभ्यता इसी नदी की द्रौणी में फली-फूली थी। यह पूर्णत: वर्षा पर आधारित है।
- यह नदी सीकर व झुंझुनूँ में बहने के बाद चुरू की सीमा पर जाकर विलुप्त हो जाती है।
- जैसलमेर जिले में जैसलमेर शहर से दक्षिण में कोटारी गाँव इसका उद्गम स्थल है। कुछ दूर बहने के बाद यह
- विलुप्त हो जाती है। अधिक पानी आने पर यह जैसलमेर की 'बुझ' झील में गिरती है।
- स्थानीय भाषा में इसे 'मसूरदी नदी' भी कहते हैं।
- हनुमानगढ़ एवं गंगानगर के कुछ मैदानी भाग (तलवाड़ा से अनूपगढ़ तक) में इस नदी की बाढ़ का पानी आस-पास के धरातल के नीचा होने के कारण अक्सर चारों ओर फैलकर चावल की फसल को नुकसान पहुँचाता है।
- राजस्थान में यह हनुमानगढ़ जिले की टिब्बी तहसील के तलवाड़ा गाँव के पास प्रवेश कर हनुमानगढ़ में बहती हुई भटनेर के पास विलुप्त हो जाती है लेकिन वर्षा ऋतु में यह गंगानगर में सूरतगढ़ व अनूपगढ़ के कुछ गाँवों तक पहुँच जाती है। इस नदी में अक्सर बाढ़ आती रहती है। कई बार इसकी बाढ़ का पानी फोर्ट अब्बास (पाकिस्तान) तक पहुँच जाता है।
- यह वैदिक संस्कृति की सरस्वती नदी के पेटे में बहती है। यह 'मृत नदी' (Dead River) के नाम से भी विख्यात है।
कान्तली नदी
- शेखावाटी क्षेत्र की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी ‘कान्तली' खण्डेला (सीकर) की पहाड़ियों से निकलकर झुंझुंनू जिले में प्रवेशकरके चूरू जिले की सीमा के निकट मंडरेला गांव (झुंझुनूँ) में विलीन हो जाती है। (लम्बाई लगभग 100 किमी.) ।
- सीकर जिले में कान्तली नदी के अपवाह क्षेत्र को 'तोरावाटी बेसिन' कहते हैं।
साबी नदी
- सेवर की पहाड़ियों (जयपुर) से निकलकर अलवर जिले में बहते हुए हरियाणा में पटौदी (गुड़गांव) के उत्तर में विलीन हो जाती है।
- साबी नदी अलवर जिले की बानसूर, बहरोड़, किशनगढ़ बास, मंडावर एवं तिजारा तहसील में बहती है।
काकनी नदी (काकनेय/मसूरदी)
- यह नदी जैसलमेर के दक्षिण में 'कोटरी' गाँव से निकलकर बुझ झील का निर्माण (वर्षाकाल में) करते हुए मीठा खाड़ी में गिरकर विलीन हो जाती है।
- इस नदी को स्थानीय भाषा में 'मसूरदी नदी' भी कहते हैं।
- लम्बाई 17 km. (सबसे छोटी) नदी है
मन्था नदी (मेंढ़ा/मेंथा)
- बैराठ की पहाड़ियों में स्थित मनोहरपुर (जयपुर) से निकलकर नागौर जिले में प्रवेश करके 'सांभर झील' में गिर जाती है।
- प्रसिद्ध जैनतीर्थ लूणवां (नागौर) मन्था नदी के किनारे स्थित है।
रूपनगढ़ नदी
- सुलेमाबाद (अजमेर) के निकट से निकलकर उत्तर-पूर्व की ओर बहते हुए जयपुर जिले में प्रवेश करके सांभर झील में गिर जाती है।
- यह नदी अजमेर के नाग पहाड़ रिजर्व फोरेस्ट से निकलती है।
- निम्बार्क समप्रदाय की प्रमुख पीठ 'सलेमाबाद' (अजमेर) इसी नदी के किनारे स्थित है।
रूपारेल नदी
- उदयनाथ की पहाड़ी थानागाजी (अलवर) से निकलकर भरतपुर जिले के कुसलपुर के निकट विलुप्त हो जाती है।
बंगाल की खाड़ी की नदियाँ - Rajasthan Ki Nadiya
चम्बल नदी
- उद्गम:- मध्यप्रदेश में इन्दौर जिले के महू के निकट विंध्याचल पर्वत के उत्तरी पार्श्व की जानापाव पहाड़ी ।
- उद्गम स्थल से 32 किमी उत्तर में बहने के बाद मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की भानपुरा तहसील के चौरासीगढ़ के निकट से यह राजस्थान की भैंसरोड़गढ़ तहसील में प्रवेश करती है तथा दक्षिणी पूर्वी राजस्थान- चित्तौड़गढ़, कोटा-बूँदी की सीमा बनाती हुई सवाईमाधोपुर, करौली व धौलपुर में बहती हुई उत्तर प्रदेश में इटावा जिले के मुरादगंज के निकट यमुना में मिल जाती है। यह सवाईमाधोपुर से धौलपुर जिले तक राजस्थान व मध्य प्रदेश की सीमा बनाती है तथा उसके बाद उत्तरप्रदेश व मध्य प्रदेश की सीमा बनाती है।
- चम्बल यमुना की मुख्य सहायक नदी है। चम्बल तीन राज्यों- मध्यप्रदेश, राजस्थान व उत्तरप्रदेश में बहती है। यह राजस्थान व मध्यप्रदेश की 252 किमी सीमा बनाती है।
- यह राजस्थान की बारहमासी नदी है जिसकी कुल लम्बाई 1051 किमी है। इसमें से राजस्थान में यह केवल 322 किमी बहती है। यह नदी बीहड़ भूमि एवं कंदराओं के लिए विख्यात है। राज्य में मिट्टी का अवनालिका अपरदन सर्वाधिक इसी नदी से होता है। इस नदी का प्रवाह मुख्यतः पठारी एवं पथरीला है। बूँदी के बाद धीरे-धीरे इसका प्रवाह क्षेत्र मैदानी भागों में हो जाता है।
- सहायक नदियाँ:- मध्यप्रदेश में मिलने वाली :- सीवान, रेतम, शिप्रा, राजस्थान में मिलने वाली:- आलनिया, परवन, बनास, काली सिंध, पार्वती, बामनी, कुराल, मेज, छोटी काली सिंध,सीप आदि ।
- राजस्थान में चम्बल में बाँयी तरफ (बायें किनारे) से मिलने वाली नदियाँ : बामनी, बनास, कुराल, मेज, चाकण नदी ।
- राजस्थान में चम्बल में दाँयी तरफ (दाँये किनारे) से मिलने वाली नदियाँ: छोटी कालीसिंध, कालीसिंध, पार्वती, कुन्नु, आलनिया आदि ।
- इस पर भैंसरोड़गढ़ (चित्तौड़गढ़) के निकट चूलिया प्रपात है। यहाँ चम्बल लगभग 60 फीट ऊँचाई से गिरती है। भैंसरोड़गढ़ के पास इसमें बामनी नदी मिलती है। इस नदी पर गाँधी सागर (मध्यप्रदेश में राजस्थान की सीमा पर) तथा राजस्थान में राणाप्रताप
- (रावतभाटा, चित्तौड़गढ़), जवाहर सागर बाँध (बूँदी-कोटा) व कोटा बैराज (कोटा) बने हुए हैं। सर्वाधिक बीहड़ व कन्दराएँ इसी नदी क्षेत्र में है। यह नदी उत्खात स्थलाकृति का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, जो कृषि हेतु सर्वथा अनुपयुक्त है।
पार्वती नदी
- यह नदी मध्यप्रदेश की विंध्याचल पर्वतमाला के उत्तरी पार्श्व में स्थित सिहोर (म.प्र.) से निकलकर करैयाहट (बाराँ) के समीप राजस्थान में प्रवेश करती है।
- इस नदी पर धौलपुर में अंगाई गाँव के पास पार्वती बाँध बनाया गया यह नदी बारां एवं कोटा जिलों की मध्यप्रदेश के साथ
सीमा बनाते हुए अन्त मे पाली गाँव (सवाईमाधोपुर) के निकट चम्बल में मिल जाती है। - पार्वती की मुख्य सहायक नदियाँ सेरनी एवं मेंढका है। कूल' इसकी महत्त्वपूर्ण सहायक नदी है। लासी, बरनी, बैथली, रेतड़ी, डूबराज, विलास आदि इसकी अन्य सहायक नदियाँ हैं।
कुनू (कुनोर)
- यह मध्यप्रदेश में गुना से निकलकर बारां जिले के मुसेरी गाँव से राजस्थान में प्रवेश करती है।
- बारां जिले को पार करके पुनः मध्यप्रदेश में बहती है तथा करौली की सीमा पर चंबल से मिल जाती है।
बामनी नदी
- हरिपुरा (चित्तौड़गढ़) की पहाड़ियों से निकलकर भैंसरोड़गढ़ के निकट चंबल में मिल जाती है, जहाँ पर भैंसरोड़गढ़
- (राजस्थान की वैल्लोर) का जलदुर्ग स्थित है।
कालीसिंध नदी
- बागली गाँव (देवास-मध्यप्रदेश) से निकलकर बारे गाँव (झालावाड़) के समीप राज्य में प्रवेश करती हैं। गागरोनगढ़' के निकट इसमें आहु मिल जाती है तथा राजगढ़ (कोटा) के समीप इसमें परवन नंदी भी मिल जाती है।
- यह नदी कुल 278 किमी. की दूरी तय करने के बाद नानेरा (कोटा) के समीप चम्बल में मिल जाती है। राजस्थान में यह 145 किमी. बहती है।
- सर्वप्रथम झालावाड़ एवं कोटा तत्पश्चात कोटा एवं बारा जिलों की प्राकृतिक सीमा बनाती हैं।
- (आहु, परवन, निमाज एवं धार इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ है।
आहु नदी
- गागरोनगढ़ (झालावाड़) का प्रसिद्धं जलदुर्ग कालीसिंध एवं आहु नदियों के संगम पर स्थित है।
- सुसनेर (मध्यप्रदेश) से निकलकर नन्दपुर (झालावाड़) के समीप राजस्थान में प्रवेश करती है।
- कोटा एवं झालावाड़ जिलों की सीमा बनाते हुए यह नदी गागरोनगढ़ (झालावाड़) के समीप कालीसिंध में मिल जाती है।
परवन नदी
- मध्यप्रदेश से निकलकर राजस्थान में झालावाड़, कोटा एवं बारौँ जिलों में बहते हुए पलायता (बारों) के निकट कालीसिंध' में मिल जाती है। बारौं जिले में इस नदी पर शेरगढ़ अभयारण्य स्थित है।
- नेवज, कालीखाड, धार एवं छापी इसकी सहायक नदियाँ हैं।
- परवन एवं कालीखाड के संगम पर मनोहर थाना (झालावाड़) का जल दुर्ग स्थित है।
नेवज नदी (निमाज)
- मालवा के पठार में राजगढ़ जिले (म.प्र.) से निकलकर कोलूखेड़ी (झालावाड़) के समीप राजस्थान में प्रवेश करके मवासा (झालावाड़) के निकट 'परवन नदी' में मिल जाती है।
आलनिया नदी
- यह कोटा में 'मुकुन्दवाड़ा की पहाड़ियों से निकलकर नोटाना गाँव में चंबल में मिलती है।
चाकण नदी
- यह नदी बूँदी जिले में कई छोटे छोटे नालों से मिलकर बनी है, जो सवाई माधोपुर के करनपुरा गाँव में चम्बल में मिल जाती है। नैनवा (बूँदी) में इस पर चाकण बांध बना हुआ है।
मेज नदी
- बिजोलिया (भीलवाड़ा) से निकलकर कोटा-बूँदी की सीमा के निकट ‘चम्बल' में मिल जाती है।
- बाजन, मांगली (बूंदी जिले में प्रसिद्ध भीमलत जलप्रपात ) एवं घोड़ा-पछाड़ इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
कुराल नदी
- ऊपरमाल के पठार (भीलवाड़ा) से निकलकर बूँदी जिले में चम्बल में मिल जाती है।
बनास नदी
- उद्गम: राजसमंद में कुंभलगढ़ के निकट खमनौर की पहाड़ियाँ ।
- (वन की आशा) यह नदी अरावली पहाड़ियों को काटती हुई मेवाड़ के मध्य में होती हुई राजसमंद में कुंभलगढ़ के दक्षिण में गोगून्दा के पठार से होकर चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक में बहकर सवाईमाधोपुर की खंडार तहसील में रामेश्वर धाम (पदरा गाँव के निकट ) में चम्बल में मिल जाती है। इसके दोनों ओर का अपवाह क्षेत्र उपजाऊ है।
- पूर्णत: राजस्थान में बहने वाली यह सबसे लम्बी नदी है जो 512 किमी लम्बी है तथा यह पूर्णतः बरसाती नदी है। राज्य में इसका जलग्रहण क्षेत्र सर्वाधिक है।
- सहायक नदियाँ: दायीं तरफ से मिलने वाली नदियाँ-बेड़च व मेनाल।
- बायीं तरफ से मिलने वाली नदियाँ-कोठारी, खारी, माशी, डाई, ढील, सोहादरा, मोरेल व कालीसिल ।
- टोंक जिले में टोडारायसिंह के पास बीसलपुरा गाँव में बीसलपुर बाँध इसी नदी पर निर्मित्त है।
बेड़च नदी
- उदयपुर जिले में गोगुन्दा की पहाड़ियों से 'आयड' के नाम से निकलकर यह नदी 'उदयसागर झील' में गिर जाती है। इस झील से निकलने के बाद यह ‘बेड़च' कहलाती है।
- कुल 190 किमी. बहने के बाद यह नदी बींगोद (भीलवाड़ा) के समीप बनास में मिल जाती है। गम्भीरी, मेनाल, ओराई, गुजरी एवं वागन इसकी सहायक नदियाँ हैं। चित्तौड़गढ़ के अप्पावास गाँव के निकट इस पर घोसुंडा बाँध बना है।
- यह नदी भीलवाड़ा में मांडलगढ़ तहसील में बींगोद के निकट बनास नदी में मिल जाती है। वहीं इसमें मेनाल नदी मिलती है। इनके संगम स्थल को त्रिवेणी कहते हैं।
माशी नदी
- किशनगढ़ (अजमेर) से निकलकर टोंक जिले में जाकर बनास से मिल जाती है, इससे पहले माशी में जयपुर से आने वाली बांडी नदी मिलती है। बांडी नदी इसकी सहायक नदी है।
सोहादरा नदी
- अजमेर जिले से प्रवाहित होकर टोंक में माशी की सहायक
नदी बनती है।
ढील नदी
- यह बावली गाँव (टोंक) से निकलकर सवाई माधोपुर जिले में पहुँचकर बनास में मिल जाती है
गंभीरी नदी
- चित्तौड़गढ़ जिले में मध्यप्रदेश की सीमा से निकलकर चित्तौड़ में ही बेड़च नदी में मिल जाती है।
कोठारी नदी
- दिवेर (राजसमंद) से निकलकर नंदराय (भीलवाड़ा) के समीप बनास नदी में मिल जाती है। (लम्बाई 145 कि.मी.) भीलवाड़ा जिले में माण्डलगढ़ के निकट इस नदी पर 'मेजा बाँध' बनाया गया है जिससे भीलवाड़ा को सिंचाई व घरेल उपयोग हेतु जल उपलब्ध करवाया जाता है।
- कोठारी नदी के किनारे पर भीलवाड़ा जिले में प्राचीन बागौर की सभ्यता मिली है।
खारी नदी
- बिंजराल गाँव (राजसमन्द) से निकलकर भीलवाड़ा, अजमेर एवं टोंक जिलों में बहते हुए देवली (टोंक) के निकट बनास में मिल जाती है, यह 180 किमी. लम्बी है। मासी इसकी सहायक नदी है।
- यह नदी अजमेर एवं भीलवाड़ा जिलों के मध्य सीमा बनाती चौप्पन गाँव (भीलवाड़ा) में इससे बहामनी नदी आकर
मिलती है
मोरेल नदी
- चैनपुरा गाँव (बस्सी, जयपुर) की पहाड़ियों से निकलकर दौसा, सवाई माधोपुर होते हुए करौली के हाड़ौंती गाँव के
- निकट बनास में मिल जाती है। जयपुर से निकलने वाली ढूँढ इसकी सहायक नदी है। पीलूखेड़ा (सवाई माधोपुर) में इस पर मोरेल बांध बना है।
कालीसिल नदी
- सपोटरा (करौली) से निकलकर हाड़ौती के निकट मोरेल मे गिरकर बनास तक पहुँचती है।
पार्वती नदी (यमुना की सहायक)
- बदरिया गाँव (धौलपुर) के निकट से निकलकर धौलपुर एवं उत्तर प्रदेश की सीमा बनाते हुए उत्तर प्रदेश में प्रवेश करके यमुना में मिल जाती है।
- धौलपुर जिले में इस पर आंगाई बाँध बना हुआ है। धौलपुर में बहने वाली सेरनी और मेंढ़का इसकी सहायक नदियाँ हैं।
गंभीर नदी
- श्री महावीर जी (करौली) से निकलकर दौसा, भरतपुर एवं धौलपुर में बहते हुए आगरा के निकट यमुना में मिल जाती है।
- पांचना, सेसा एवं खेर इसकी सहायक नदियाँ हैं।
बाणगंगा नदी
- यह नदी बैराठ की पहाड़ियों (जयपुर) से निकलकर दौसा एवं भरतपुर जिलों में बहते हुए उत्तर प्रदेश में प्रवेश करके फतेहाबाद के समीप यमुना में मिल जाती है।
- गुमटी नाला, सुरा व पलोसन इसकी सहायक नदियाँ हैं। जमवारामगढ़ (जयपुर) के निकट इस नदी पर 'जमवारामगढ़ बांध' बनाया गया है। इस बाँध से जयपुर नगर को पेयजल मिलता था। ताला नदी इसमें गिरती है।
अरब सागर की नदियाँ - Rajasthan Ki Nadiya
लूनी नदी (मरु आशा / लवणवती/लवणी)
- थार के मरुस्थल की सबसे महत्वपूर्ण एवं सबसे लम्बी नदी का उद्गम अजमेर एवं पुष्कर के मध्य स्थित एवं आनासागर झील है।
- राज्य के कुल अपवाह 10.100% भाग लूनी बेसिन का है। इस दृष्टि से यह चम्बल के पश्चात् राज्य की दूसरी सबसे बड़ी नदी है।
- यह नदीपूरी तरह से बरसाती है इसके उद्गम स्थल पर इसको सागरमती कहा जाता है।
- यह नदी अजमेर, नागर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर एवं जालौर कुल जिला में बहते हुए 'कच्छ के रन' में प्रवेश करके फैल जाती है। अधिक वर्षा होने पर यह नदी कच्चा की खाड़ी में गिरती है। कुल लम्बाई 350 किमी नोट- राजस्थान में 330 किमी.)
- लूनी नदी को उद्गम स्थल पर सागरमती के रूप में जाना जाता है। पुष्कर से निकलकर आई सरस्वती नदी का मिलन सागरमती से गोविन्दगढ़ (अजमेर) में होता है। इसके पश्चात यह नदी 'लूनी' कहलाती है।
- लूनी नदी में दायीं ओर से मिलने वाली एकमात्र सहायक नदी जोजड़ी है।
- कच्छ के रन में प्रवेश करते समय यह नदी कई धाराओं में विभक्त होकर दलदल का निर्माण करती है। इस दलदली क्षेत्र को सांचोर (जालोर) में 'नेहड़' कहते हैं।
- उद्गम स्थल से बालोतरा (बाड़मेर) तक इस नदी का पानी मीठा है। पचपदरा झील की निकटता एवं लवणीय भूमि में बहने के कारण बालोतरा के बाद इसका जल खारा हो जाता है।
- लूनी की सहायक नदियाँ जवाई, वांडी, लीलही, गुहिया, सुकडी, एवं सागाई अरावली के पश्चिमी ढालों से निकलती है। जबकि इसमें दायीं ओर से मिलने वाली सहायक नदियाँ जोजरी, मीठड़ी एवं सरस्वती हैं।
- लूनी नदी के किनारे बिलाड़ा एवं लूनी जंक्शन (जोधपुर), समदड़ी, बालोतरा, तिलवाड़ा, नाकोड़ा एवं गुड़ामालानी (बाड़मेर) नामक नगर बसे हुए हैं।
जवाई नदी
- लूनी की सबसे लम्बी सहायक नदी 'जवाई" गोरियाँ गाँव (पाली) से निकलकर पाली, जालोर एवं बाड़मेर जिलों में बहते हुए गांधव (बाड़मेर) के निकट लुनी में मिल जाती है बांडी, सुकड़ी एवं खारी इसकी सहायक नदियाँ हैं। इस इस नदी से जोधपुर एवं पाली शहरों को पेयजल व जालौर एवं पाली जिले के गांवों को नहरों के माध्यम से सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई गई है।
- जालौर जिले में सुमेरपुर के निकट इस नदी पर 'जवाई बांध' (मारवाद का अमृत सरोवर) बनाया गया है।
- पाली जिले में सुमेरपुर के निकट इस नदी पर 'जवाई बाँध' (मरवाड का अमृत संरोबर) बनाया गया है।
- यह नदी पाली एवं सिरोही जिलों की सीमा बनाती है। सुमेरपुर (पाली), शिवगंज (सिरोही) एवं जालोर नगर इस नदी के किनारे स्थित है।
- उदयपुर जिले की सेई नदी का जल सुरंग के माध्यम से जवाई नदी में डाला जा रहा है।
माही नदी
- वागड़ एवं कांठल क्षेत्र की गंगा' कहलाने वाली माही नदी मध्यप्रदेश के धार जिले की मेहद झील से निकलती है।
- राजस्थान में माही नदी खांदू गाँव (बांसवाड़ा) के समीप प्रवेश करके उल्टे 'यू' आकार (6) में घूमती हुई गुजरात में प्रवेश करके खम्भात की खाड़ी में गिरती हैं।
- यह नदी राजस्थान में कर्क रेखा को दो बार काटती है।
- यह नंदी सर्वप्रथम बाँसवाड़ा एवं प्रतापगढ़,तत्पश्चात बासवाड़ा एवं डूंगरपुर जिलों के मध्य सीमा बनाती है।
- माही नदी की कुल लंबाई 576 किमी. तथा राजस्थान में लंबाई 171 किमी. मानी गई है।
- माही नदी मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं गुजरात तीन राज्यों में बहती है।
- बाँसवाड़ा एवं प्रतापगढ़ जिलों में स्थित माही का अपवाह क्षेत्र छप्पन का मैदान कहलाता है। माही नदी पर गुजरात में कड़ाना बाँध बना हुआ है।
- माही नदी पर राज्य में दो एवं गुजरात में एक, कुल तीन बाँध बनाए गए हैं। राज्य में बाँसवाड़ा जिले के लोहारिया बोरखेड़ा गाँव के समीप 'माही बजाज सागर बांध' एवं कागदी पिक-अप बाँध बनाये गये हैं। गुजरात के पंचमहल जिले में कुडाणा बाँध बनाया गया है। इस नदी को बागढ़ व कांठल की गंगा तथा दक्षिण राजस्थान की स्वर्ण रेखा भी कहते हैं।
- बेणेश्वर (डूंगरपुर) में माही, सोम, जाखम का त्रिवेणी संगम है, जहाँ आदिवासियों का कुम्भ भरता है। बेणेश्वर एवं गलियाकोट (डूंगरपुर) दोनों प्रसिद्ध तीर्थस्थल माही नदी के किनारे बसे हुए हैं।
- बांसवाडा के बोरखेडा गाँव के पास इस नदी पर माही बजाज सागर बांध बनाया गया है
सोन नदी
- ऋषभदेव उदयपुर के निकट बाबलबाड़ा के जंगलो में स्थित बीछामेड़ा से निकल द.पू. में बहती हुई उदयपुर एवं
- डूंगरपुर जिलों की सीमा बनाती हुई ‘बेणेश्वर' (डूंगरपुर) के निकट माही में मिल जाती है।
- सोम की प्रमुख सहायक नदियाँ जाखम, झामरी, गोमती, सामरी, टीडी एवं सारनी हैं।
जाखम नदी (जोकम)
- यह नदी छोटी सादड़ी (प्रतापगढ़) से निकलकर उदयपुर एवं डूंगरपुर जिलों में बहते हुए बिलाड़ा गाँव के पास सोम नदी
- में मिल जाती है। सहायक नदियाँ—करमाई एवं सूकली।
साबरमती नदी
- साबरमती नदी का उद्गम उदयपुर जिले के दक्षिणी पश्चिमी भाग में कोटड़ा क्षेत्र के झाड़ोल के निकट से पाँच जलधाराओं
- के रूप में होता है, जो खेराज (गुजरात) के निकट जाकर आपस में मिल जाती हैं। यह नदी गुजरात में बहते हुए खम्भात
- की खाड़ी में गिरती है।
- गांधीनगर एवं अहमदाबाद नगर (गुजरात) साबरमती के किनारे स्थितं हैं।
- इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ वाकल, हथमति, मेश्वा, वतरक, सेई एवं माजम हैं जो उदयपुर एवं डूंगरपुर जिलों से निकलती हैं
पश्चिमी बनास नदी
- यह नदी सिरोही नगर के पूर्व में स्थित 'नया सनवाडा' गाँव से निकलकर गुजरात में प्रवेश करके लिटिल रन से होते हुए कच्छ की खाड़ी में गिर जाती है।
- प. बनास पर सरूपगंज (सिरोही) के निकट बनास बाँध बनाया गया है।
- 'सिपू' पश्चिमी बनास की सबसे महत्त्वपूर्ण सहायक नदी है।
- आबू रोड़ (सिरोही) एवं गुजरात का डीसा नगर इसके किनारे स्थित है
अनास नदी
- आम्बेर गाँव (विंध्याचल पर्वत, म.प्र.) से निकलकर बाँसवाड़ा के मेलेड़ी खेड़ा से प्रवेश कर डूंगरपुर के गलियाकोट के निकट माही में मिल जाती है। हरण इसकी सहायक नदी है।
मोरेन नदी
- डूंगरपुर की पहाड़ियों से निकलकर गलियाकोट के निकट माही में मिल जाती है।
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राजस्थान के जलप्रपात
चूलिया जलप्रपात चित्तौड़गढ़ - चंबल नदी
मेनाल जलप्रपात भीलवाड़ा - मेनाल नदी
भीमलत जलप्रपात बूंदी - मांगली नदी
नदियों के किनारे स्थित प्रमुख स्थान
- चंबल- कोटा, रावतभाटा चित्तौड़गढ़
घग्गर- हनुमानगढ़ सूरतगढ़ अनूपगढ
बनास- नाथद्वारा राजसमंद
खारी- गुलाबपुरा, विजयनगर, आसींद
लूणी- बिलाड़ा, लूणी, समदड़ी, बालोतरा नकोड़ा
जवाई- सुमेरपुर, शिवगंज, जालौर
कोठारी- भीलवाड़ा
बंडी- पाली
काली सिंध- झालावाड़, गागरोन गढ़
रुपनगढ़- सलेमाबाद अजमेर
माही- बनेश्वर एवं गलियाकोट डूंगरपुर
गंभीर- बयाना भरतपुर
बेडच- चित्तौड़गढ़
सोम- आसपुर डूंगरपुर
कानतली- जोधपुरा झुंझुनू, गणेश्वर सीकर
जोजरी- पीपाड़ जोधपुर
सुकड़ी- सोजत पाली
राजस्थान की नदिया Gk Question In Hindi

1 राजस्थान में से गुजरने वाली सबसे लंबी नदी कौन सी है
उत्तर- चंबल
2 कोठारी नदी पर मेजा बांध किस जिले में बनाए गए हैं
उत्तर- भीलवाड़ा
3 सांभर झील में कौन-कौन सी नदी गिरती है
उत्तर- मंथा, रूपनगढ़, खारी, खंडेला
4 बेडच की सहायक नदी कौन कौन सी है
उत्तर- गंभीरी, वागन, ओराई
5 कौन सी नदी राजस्थान में कर्क रेखा को दो बार काटती है
उत्तर- माही नदी
राजस्थान की नदिया Gk Question In Hindi
6 राज्य में बांगड़ एवं कांठल की गंगा कौन सी नदी कहलाती है
उत्तर- माही नदी
7 राज्य में जवाई नदी किन दो जिलों की सीमा बनाती है
उत्तर- पाली व सिरोही
8 लूणी की सहायक नदी कौन कौन सी है
उत्तर- जवाई, सुकड़ी, जोजरी
9 लूनी नदी का जल किस झील के निकट खड़ा हो जाता है
उत्तर- पचपदरा झील
10 लूनी नदी राज्य के कुल कितने जिलों में बहती है
उत्तर- 6 जिलों में
राजस्थान की नदिया Gk Question In Hindi
11 मंथा नदी किन किन जिलों में बहते हुए सांभर झील में गिरती है
उत्तर- जयपुर व नागौर
12 काकनी नदी का उद्गम स्थल कहां पर है
उत्तर- कोटडी गांव जैसलमेर
13 जयपुर जिले में सेवर की पहाड़ियों से कौन सी नदी निकलती है
उत्तर- साबी नदी
14 राज्य के सीकर जिले में कांतली नदी का बेसिन क्या कहलाता है
उत्तर- तोरावटी
15 कौन सी नदी अपने उद्गम स्थल पर सागरमती नाम से जानी जाती है
उत्तर- लूनी नदी

राजस्थान की नदिया Gk Question In Hindi
16 राज्य में सबसे ऊंचा बांध किस नदी पर स्थित है
उत्तर- जाखम नदी पर
17 आंतरिक प्रवाह प्रणाली की सबसे लंबी नदी कौन सी है
उत्तर- घग्गर नदी
18 राज्य की कौन सी नदी पर सर्वाधिक बांध बनाए गई है
उत्तर- चंबल नदी
19 पूर्ण बहाव के आधार पर राज्य के 3 सबसे लंबी नदियां कौन-कौन सी है
उत्तर- चंबल, लूणी, बनास
20 कांतली नदी का उद्गम स्थल कौन सा है
उत्तर- खंडेला की पहाड़ियां
राजस्थान की नदिया Gk Question In Hindi
21 राजस्थान की किस नदी को मृत नदी के नाम से जाना जाता है
उत्तर- घग्गर नदी
22 राज्य की वे पहाड़िया जहां से बनास, बेडच, सेई, साबरमती एवं वाकल नदियां निकलती है
उत्तर- जसवंतगढ़ की पहाड़ियां
23 रूपारेल नदी किन जिलों में बहती है
उत्तर- अलवर व भरतपुर
24 बाण गंगा का उद्गम स्थल कहां पर है
उत्तर- बेराठ की पहाड़ियां
25 कोठारी नदी के किनारे किस प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं
उत्तर- बागोर
राजस्थान की नदिया Gk Question In Hindi
26 मेजा बांध किस नदी पर बनाया गया है
उत्तर- कोठारी नदी
27 राज्य में बनास नदी कुल कितने जिलों में बहती है
उत्तर- चार जिलों में
28 राज्य की किस नदी को वन की आशा कहते हैं
उत्तर- बनास नदी को
29 राज्य में भीमलत जलप्रपात किस नदी पर है
उत्तर- मांगली नदी
30 राज्य की मेज नदी का उद्गम स्थल कौन सा है
उत्तर- बिजोलिया भीलवाड़ा
राजस्थान की नदिया Gk Question In Hindi
31 बारा जिले का प्रसिद्ध शेरगढ़ वन्य जीव अभ्यारण किस नदी के किनारे स्थित है
उत्तर- परवन नदी
32 नेवज नदी किस जिले में बहती है
उत्तर- झालावाड़
33 कालीसिंध की सहायक नदी कोन कौन सी है
उत्तर- आहू, परवन, निमाज
34 कालीसिंध नदी सर्वप्रथम राज्य के किस जिले में प्रवेश करती है
उत्तर- झालावाड़
35 आदिवासियों का कुंभ के नाम से विख्यात स्थान कौन सा है
उत्तर- बेणेश्वर

राजस्थान की नदिया Gk Question In Hindi
36 कौन सी नदियां राजस्थान में मध्य प्रदेश के मध्य सीमा बनाती है
उत्तर- चंबल एंव पार्वती नदी
37 राज्य की चंबल नदी कुल कितने जिलों में बहती है
उत्तर- 6 जिलों में
38 पश्चिमी बनास नदी राज्य के किस जिले से निकलती है
उत्तर- सिरोही जिले से
39 गुजरात की राजधानी गांधीनगर कौन सी नदी के किनारे स्थित है जो राजस्थान से निकलती है
उत्तर- साबरमती
40 चंबल नदी पर कौन कौन से बांध स्थित है
उत्तर- कोटा बैराज, जवाहर सागर, गांधी सागर
राजस्थान की नदिया Gk Question In Hindi
41 चंबल नदी का उद्गम स्थल कौन सा है
उत्तर- जानापाव पहाड़ी मध्य प्रदेश
42 राज्य में चंबल नदी का प्रवेश सबसे पहले किस जिले में है
उत्तर- चित्तौड़गढ़
43 अरावली के पश्चिम में बहने वाली नदी कौन सी है
उत्तर- लूनी नदी
44 चूलिया जलप्रपात किस नदी के किनारे व किस जिले में स्थित है
उत्तर- चंबल नदी चित्तौड़गढ़ जिला
45 राज्य में सबसे बड़ा जलग्रहण क्षेत्र किस नदी पर है
उत्तर- बनास नदी
राजस्थान की नदिया Gk Question In Hindi
46 राज्य के किस जिले में नदियों की संख्या सबसे अधिक है
उत्तर- चित्तौड़गढ़
47 राजस्थान राज्य में पूर्णता बहने वाली सबसे लंबी नदी कौन सी है
उत्तर- बनास नदी
48 राज्य की बारहमासी नदी कौन सी है
उत्तर- चंबल व माही
49 राज्य के किस संभाग में सबसे अधिक नदियां मिलती है
उत्तर- कोटा संभाग
50 राज्य के किन जिलों में कोई नदी नहीं है
उत्तर- बीकानेर व चूरू

राजस्थान की नदिया Gk Question In Hindi
51 राज्य की कुल भू भाग का कितने प्रतिशत भाग पर आंतरिक अपवाह प्रणाली का विस्तार है
उत्तर- 40%
52 सीकर जिले में कातली तक नदी का बेसिंग क्या कहलाता है
उत्तर- तोरावटी
53 राज्य की कुल क्षेत्र का लगभग कितना भाग अरब सागर की अपवाह तंत्र के अंतर्गत आता है
उत्तर- ⅙ भाग
54 वागड़ एवं कांठल की गंगा के नाम से किस नदी को संबोधित किया जाता है
उत्तर- माही नदी को
55 सैयद फखरुद्दीन की मजार एवं रमकड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध गलियाकोट किस नदी के किनारे पर स्थित है
उत्तर- माही नदी
राजस्थान की नदिया Gk Question In Hindi
56 बलवाड़ा के जंगल उदयपुर से निकलकर उदयपुर एवं डूंगरपुर जिलों की सीमा बनाते हुए बनेश्वर के निकट माही में मिलने वाली नदी कौन सी है
उत्तर- सोम नदी
57 कौन सी नदी उदयपुर जिले में फुलवारी की नाल एवं झाडोल के मध्य पांच सरिताओ के रूप में निकलकर गुजरात में प्रवेश करती है
उत्तर- साबरमती नदी
58 वाकल हथमति मैश्वा व वतरक किसकी सहायक नदियां है
उत्तर- साबरमती नदी
59 राजस्थान की कुल अपवाह क्षेत्र का कितना भाग बंगाल की खाड़ी के अपवाह क्षेत्र के अंतर्गत आता है
उत्तर- 22%
60 भैंसरोड गढ़ के निकट चंबल नदी पर बनने वाले चूलिया जलप्रपात की ऊंचाई कितनी है
उत्तर- 18 मीटर

राजस्थान की नदिया Gk Question In Hindi
61 किस नदी का राजस्थान में अपवाह क्षेत्र सबसे बड़ा है
उत्तर- चंबल नदी
62 कोटा बूंदी जिलों के मध्य प्राकृतिक सीमा का निर्धारण करने वाली नदी कौन सी है
उत्तर- चंबल नदी
63 बारा कोटा जिलों की मध्यप्रदेश के साथ कौन सी नदी सीमा बनाती हैं
उत्तर- पार्वती नदी
64 कालीसिंध नदी सर्वप्रथम राज्य के किस जिले में प्रवेश करती है
उत्तर- झालावार
65 कालीसिंध व आहू नदी के संगम पर स्थित है
उत्तर- गागरोनगढ़
राजस्थान की नदिया Gk Question In Hindi
66 किस स्थान पर कालीसिंध नदी चंबल में गिरती है
उत्तर- नानेरा कोटा
67 बीगोद व मांडलगढ़ के मध्य बनास बेड़च एंव मेनाल नदियों का संगम क्या कहलाता है
उत्तर- त्रिवेणी
68 अडवान बांध किस नदी पर स्थित है
उत्तर- मानसी नदी
69 चाकन बांध किस नदी पर स्थित है
उत्तर- चाकण
70 इसरद्ध बांध किस नदी पर स्थित है
उत्तर- बनास नदी
दोस्तों यह पोस्ट थी Rajasthan Ki Nadiya In Hindi | इस पोस्ट में Rajasthan Ki Nadiya In Hindi के बारे में कुछ जानकारिया दी गयी है उम्मीद है आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा होगा यदि आपको Rajasthan Ki Nadiya से RELETED कोई Question और Suggestion देना चाहे तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताये धन्यवाद....|
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