( राजस्थान के दुर्ग ) :- Hello Friends, Welcome To Our Website, So Friends Today, In This Post, We Will Provide Various Information Related To The Questions Related To The Fort Of Rajasthan And The Rajasthan Ke Durg, In Which The Related Questions Are Asked In The Exam. Questions Related To Rajasthan's Fort Topic Have Been Asked In Many Previous Papers Like Rajasthan Patwari Gram Sevak Forest Department, Rajasthan Police And Examinations Related To Different Departments Of Rajasthan, So Today In This Post You Will Get To Read Questions Related To Rajasthan's Durg And Rajasthan Ke Durg. So Read The Post Completely And If You Like This Post, Then Share It On Your Social Media Account.
( राजस्थान के दुर्ग ) - हेल्लो दोस्तों स्वागत है आपका हमारी website पर तो दोस्तों आज हम इस पोस्ट में राजस्थान के दुर्ग व Rajasthan Ke Durg संबंधित Question संबंधित विभिन जानकारी उपलब्ध करूँगा जिससे संबंधित Question परीक्षा में पूछे जाते है | राजस्थान के दुर्ग टॉपिक से संबंधित Question पिछले कई पेपरों जैसे राजस्थान पटवारी ग्राम सेवक वन विभाग राजस्थान पुलिस व राजस्थान के विभिन्न विभागों से संबंधित परीक्षायो में पूछे जा चुके है तो आज इस पोस्ट में आपको राजस्थान के दुर्ग व Rajasthan Ke Durg संबंधित Question पढने को मिलेंगे तो पोस्ट को पूरा पढ़िए व आपको यह पोस्ट अच्छी लगे तो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर करे ...|
Rajasthan Fort - राजस्थान के दुर्ग
चित्तौड़ का दुर्ग - ( चित्तौड़गढ़, राजस्थान )
चित्रकूट दुर्ग राजस्थान का गौरव राजस्थान का दक्षिणी पूर्वी प्रवेश द्वार प्राचीन किलों का सिर मोर चित्तौड़गढ़ चित्तौड़गढ़ दुर्ग का निर्माण मौर्य वंश के राजा चित्रांग ने करवाया । इस दुर्ग की ऊंचाई 616 मीटर है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह राजस्थान का सबसे विशाल दुर्ग है अपनी विशालता के कारण चितौड़गढ़ दुर्ग को महा दुर्ग भी कहा जाता है चित्तौड़गढ़ दुर्ग राजस्थान का सबसे बड़ा आवासीय किला है इस दुर्ग का आकार वहेल मछली के समान है
यह दुर्ग राजस्थान का एकमात्र ऐसा दुर्ग है जिसमें खेती की जाती है इस दुर्ग पर पहला आक्रमण अफगानिस्तान के सूबेदार मामू ने किया। गुहिल वंश के शासक बप्पा रावल ने मौर्य वंश के शासक मान मोरी को पराजित कर 734 ई में चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया। चितोड़ के किले का वास्तविक नाम चित्रकूट है आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गयी चार कोटियों तथा आचार्य शुक्र द्वारा बताई गयी नो दुर्ग कोटियों में से केवल एक कोटि “धन्व दुर्ग” को छोड़कर चितौड़गढ़ को सभी कोटियों में रखा जा सकता है।इसी कारण राजस्थान में कहावत कही जाती है कि “गढ़ तो गढ़ चितौड़गढ़, बाकी सब गड़ैया।
चित्तौड़ दुर्ग के शाके
- प्रथम शाका - सन 1303 में अलाउदीन खिलजी व चितोड़ के राणा रतनसिंह के मध्य युद्ध | इस साके में रानी पद्मिनी ने जौहर किया तथा राणा रतनसिंह व सैंकड़ो रणबांकुरो के साथ वीर गोरा व बादल वीरगति को प्राप्त हुए | खिलजी ने दुर्ग अपने पुत्र खिज्रखा को सौंपकर उसका नाम खिज्राबाद रख दिया | यह राज्य का दूसरा साका माना जाता है। पहला साका रणथंभौर दुर्ग का हैं
- दूसरा शाका - सन 1534 में गुजरात के सुल्तान बहादुरशाह तथा अल्पवय महाराणा विक्रमादित्य के मध्य युद्ध हुआ, जिसमे देवलिया प्रतापगढ़ के वीर रावत बाघसिंह वीरगति को प्राप्त हुए । हाडी रानी कर्मवती ओर अन्य वीरांगनाओ ने जोहर किया । इसी युद्ध के पूर्व रानी कर्मवती ने हुमायु को राखी भेजकर सहायता मांगी थी
- तीसरा शाका - इस साके के दौरान 1567 मे अकबर तथा राणा सांगा के पुत्र उदयसिंह के बीच युद्ध हुआ जिसमे अकबर कि जीत होती है चितौड़गढ़ का तीसरा युद्ध लड़ने से पहले महाराणा उदयसिंह चितौड़गढ़ छोड़कर गोगुंदा चले गये थे जयमल व फत्ता उदयसिंह के सैनापती थे जो इस युद्ध मे शहीद हो जाते है
विजय स्तंभ ( Victory column )- इसमें नौ मंजिल है जो नवविधियो की प्रतीक है । यह लगभग 120 फ़ीट ऊंचाई का है । इसका निर्माण 1440 ई. में प्रारंभ हुआ तथा सन 1448 ई. में बनकर तैयार हुआ । इस स्तंभ को “पौराणिक हिन्दू मूर्तिकला का अनुपम खजाना” या “भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोश” कहा जाता है । इस स्तंभ को विष्णु स्तभ भी कहते है
विशेषता
- 1303 इसवी अलाउद्दीन खिलजी वह राणा रतन सिंह के मध्य प्रथम शाका
- 1534 ईसवी गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह व महाराणा विक्रमादित्य के मध्य शाका
- 1567 ईस्वी अकबर व उदय सिंह के मध्य शाका
- चित्तौड़गढ़ दुर्ग की परिधि 13 किलोमीटर है।
- चित्तौड़गढ़ दुर्ग राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है।
- चित्तौड़गढ़ दुर्ग की आकृति व्हेल मछली के समान है।
- चित्तौड़गढ़ दुर्ग का वास्तविक नाम चित्रकुट दुर्ग है।
- चित्तौड़गढ़ दुर्ग मेसा के पठार पर स्थित है।
- चित्तौड़गढ़ दुर्ग गंभीरी तथा बेड़च नदियो के संगम या किनारे पर स्थित है।
कुंभलगढ़ दुर्ग - ( राजसमंद, राजस्थान )
उदयपुर से 7० किमी दूर समुद्र तल से 1087 मीटर ऊँचा और 30 किमी व्यास में फैला दुर्ग मेवाड़ के यशश्वी महाराणा कुम्भा की सूझबूझ व प्रतिभा का अनुपम स्मारक है अरावली की तेरह चोटियों से घिरा, जरगा पहाडी पर (1148 मी.) ऊंचाई पर निर्मित गिरी श्रेणी का दुर्ग है। इस दुर्ग का निर्माण महाराणा कुम्भा ने वि. संवत् 1505 ई. में अपनी पत्नी कुम्भलदेवी की स्मृति में बनवाया। इस दुर्ग का निर्माण कुम्भा के प्रमुख शिल्पी मण्डन की व देखरेख में हुआ। दुर्ग का निर्माण कार्य पूर्ण होने पर महाराणा कुम्भा ने सिक्के डलवाये जिन पर दुर्ग और उसका नाम अंकित था कुम्भलगढ़ दुर्ग दुर्गों की गिरी श्रेणी में शामिल है। कुम्भलगढ़ दुर्ग का वास्तुकार मण्डन को माना जाता है।
महाराणा प्रताप की जन्म स्थली कुम्भलगढ़ एक तरह से मेवाड़ की संकटकालीन राजधानी रहा है। महाराणा कुम्भा से लेकर महाराणा राज सिंह के समय तक मेवाड़ पर हुए आक्रमणों के समय राजपरिवार इसी दुर्ग में रहा। यहीं पर पृथ्वीराज और महाराणा सांगा का बचपन बीता था।महाराणा उदय सिंह को भी पन्ना धाय ने इसी दुर्ग में छिपा कर पालन पोषण किया था। उदयसिंह का राज्यभिषेक तथा वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ़ दुर्ग में हुआ है। हल्दी घाटी के युद्ध के बाद महाराणा प्रताप भी काफी समय तक इसी दुर्ग में रहे।
विशेषताए
- उदय सिंह का लालन-पालन एवं राज्य भिषेक यहीं पर हुआ था
- कटार गढ़ महल इसी में स्थित है
- कुम्भलगढ़ दुर्ग राजस्थान का एकमात्र ऐसा दुर्ग है जो रानी को समर्पित है।
- राजस्थान स्थित कुम्भलगढ़ दुर्ग रानी कुम्भल देवी को समर्पित है।
- अबुल फजल ने इस किले के बारे में लिखा कि यह इतनी बुलंदी पर बना हुआ है कि नीचे से ऊपर देखने पर सिर से पगड़ी गिर जाती है
- वीर विनोद पुस्तक के रचियता कवि श्यामलदास के अनुसार राजस्थान में 84 दुर्गों में से 32 दुर्गों का निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया था।
- महाराणा कुम्भा को राजस्थानी स्थापत्य कला का जनक कहा जाता है।
- कर्नल टॉड ने इसकी तुलना एट्रूसकन से की है
- कुम्भलगढ़ दुर्ग में एक लघु दुर्ग बना हुआ है जिसे कटारगढ़ दुर्ग कहा जाता है।
- कुम्भलगढ़ दुर्ग मेवाड़ व मारवाड़ की सीमा पर स्थित होने के कारण कुम्भलगढ़ दुर्ग को मेवाड़ व मारवाड़ की सीमा का प्रहरी भी कहा जाता है।
- कटारगढ़ दुर्ग को मेवाड़ की आँख कहा जाता है।
जूनागढ़ दुर्ग - ( बीकानेर, राजस्थान )
बीकानेर में स्थित स्थल दुर्ग निर्माता बीकानेर के शासक रायसिंह । यह किला लाल पत्थरों से बना है।रायसेन ने जूनागढ़ की सूरजपोल पर राय प्रशस्ति उत्कीर्ण करवाई। जिसका रचयिता जेइता था। जूनागढ़ दुर्ग को राती घाटी का किला भी कहा जाता है। राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित जूनागढ़ दुर्ग को बीकानेर का किला भी कहते है जूनागढ़ दुर्ग में रायसिंह का चौबारा ,फूल महल ,चंद्र महल, गज मंदिर, अनूप महल ,रतन निवास ,कर्ण महल, दलेल निवास, सरदार निवास,सूरत निवास इत्यादि प्रमुख भवन है। राय सिंह ने जयमल और पत्ता की पाषाण मूर्तियां इसी दुर्ग पर लगाई
विशेषताएं
- लाल पत्थरों से बना चतुभुजाकार दुर्ग
- हिंदू व मुस्लिम कला शैली का सुंदर समन्वय
- जूनागढ़ दुर्ग को जमीन का जेवर या जमीन का जेवर किला भी कहा जाता है।
- जूनागढ़ दुर्ग राजस्थान का एकमात्र ऐसा दुर्ग है जिस पर आजतक एक भी विदेशी आक्रमण नही हुआ है।
- जूनागढ़ दुर्ग राजस्थान में सर्वाधिक महलों वाला दुर्ग माना जाता है।
- प्रथम विश्व युद्ध में काम में ली गई हवाई जहाज राजस्थान के जूनागढ़ दुर्ग में स्थित है।
- राजस्थान में सर्वप्रथम लिफट का प्रयोग जूनागढ़ दुर्ग में ही किया गया थाजयमल व फत्ता की गजारूढ़ मूर्तियां
- राजस्थान के जूनागढ़ दुर्ग में स्थित है। अर्थात् हाथी पर सवार जमयल व फत्ता की मूर्तियां राजस्थान के जूनागढ़ दुर्ग में स्थित है
- जयमल फत्ता की गजारुड मूर्ति इस किले के दरवाजे पर स्थित है
रणथंबोर दुर्ग - ( सवाई माधोपुर, राजस्थान )
इसका निर्माण सपालदक्ष के चौहान शासक रणथम्भनदेव ने 944 में करवाया।यह सवाई माधोपुर में स्थित है इस दुर्ग में राजस्थान का प्रथम साका 1301 ई में अलाउद्दीन खिलजी का हमीर देव चौहान पर आक्रमण के समय हुआ तब महारानी रंगा देवी ने जौहर किया थारणथम्भौर दुर्ग को दुर्गाधिराज व चित्तौड़गढ़ के किले का छोटा भाई के नाम से जाना जाता है, जो हम्मीर की आन-बान व 'शान' का प्रतीक है। त्रिनेत्र गणेश जी का मंदिर राजस्थान राज्य के सवाईमाधोपुर जिले के रणथम्भौर दुर्ग में स्थित है।
त्रिनेत्र गणेश जी का मंदिर राजस्थान का एकमात्र ऐसा गणेश जी का मंदिर है जहां पर गणेश जी के मुख की पूजा की जाती है। राजस्थान में शादी विवाह के शुभ अवसर पर पहला निमंत्रण त्रिनेत्र गणेश जी के मंदिर में ही भेजा जाता है। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को (गणेश चतुर्थी को) राजस्थान के त्रिनेत्र गणेश जी के मंदिर में मेला भरता है। रणथम्भौर दुर्ग राजस्थान राज्य के सवाईमाधोपुर जिले की थंभौर पहाड़ी पर स्थित है। इस दुर्ग की सबसे ज्यादा ख्याति हम्मीर देव (1282-1301) के शासन काल में रही। हम्मीरदेव का 19 वर्षो का शासन इस दुर्ग का स्वर्णिम युग था। हम्मीर देव चौहान ने 17 युद्ध किए जिनमे 13 युद्धो में उसे विजय प्राप्त हुई। करीब एक शताब्दी तक ये दुर्ग चितौड़ के महराणाओ के अधिकार में भी रहा। खानवा युद्ध में घायल राणा सांगा को इलाज के लिए इसी दुर्ग में लाया गया था
विशेषता
- अबुल फजल ने इस किले के बारे में लिखा है कि अन्य सब दुर्ग नंगे है, जबकि यह दुर्ग बख्तरबन्द है।
- रणथंभौर दुर्ग अंडाकार ढाँचे में सात पहाड़ियों के मध्य स्थित है।
- इसका निर्माण 8वीं शताब्दी के लगभग अजमेर के चौहान शासक राजा जयंत द्वारा कराया गया।
- रणथंभौर दुर्ग का मुख्य प्रवेशद्वार नौलखा दरवाजा है।
- इस लेख के अनुसार इस दरवाजे का जीर्णोद्धार जयपुर के महाराजा जगतसिंह ने करवाया था
- सात पर्वत श्रंखला से घिरा यह विशाल दुर्ग दूर से देखने पर दिखाई नहीं देता है
- रणथम्भौर दुर्ग के बारे में जलालुद्दीन ने भी कथन कहा है कि मैं ऐसे 10 दुर्गों को मुसलमान के एक बाल के बराबर भी नहीं समझता।
- सवाई माधोपुर से लगभग 40 किमी. पूर्व में स्थित खंडार का किला रणथंभौर के सहायक दुर्ग व उसके पृष्ठ रक्षक के रूप में विख्यात है।
- रणथम्भौर दुर्ग के बारे में अमीर खुसरो ने यह कथन कहा है कि "कुफ्र का गढ़ इस्लाम का घर हो गया है
- तोरण दरवाजा-नौलखा दरवाजे के बाद एक तिकोणी (तीन दरवाजों का समूह) दरवाजा आता है जिसे चौहान शासकों के काल में 'तोरण द्वार', मुस्लिम शासकों के काल में 'अंधेरी दरवाजा' और जयपुर के शासकों द्वारा 'त्रिपोलिया दरवाजा' कहा जाता था।
लोहागढ़ दुर्ग - ( भरतपुर, राजस्थान )
भरतपुर में स्थित लोहागढ़ दुर्ग पारिख व स्थल दुर्ग की श्रेणी में आता है, जिसका निर्माण सूरजमल जाट ( जाटों का प्लेटो/जाटों का अफलातून ) द्वारा 1733-34 में करवाया गया, जिसे लोहागढ़ / अभेद्य दुर्ग/मिट्टी का किला/अजयगढ़/पूर्वी सीमान्त का प्रहरी आदि नामों से जाना जाता है इस दुर्ग में निर्माण कार्य राजा जसवंत सिंह (1853- 93 ई.) के काल तक चलता रहा। किले के चारों ओर की खाई में मोती झील से सुजान गंगा नहर द्वारा पानी लाया जाता था। यहां 8 बुर्जो में से सबसे प्रमुख जवाहर बुर्ज है जो महाराजा जवाहर सिंह की दिल्ली फतह के स्मारक के रूप में बनाया गया था। अंग्रेज सेनापति लेक 1805 ईसवी की जनवरी से लेकर अप्रैल माह तक 5 बार भरतपुर दुर्ग पर जोरदार हमले किए गए। ब्रिटिश तोपो ने जो गोले बरसाए वे या तो मिट्टी की बाह्य प्राचीर में धँस गए। उनकी लाख कोशिश के बावजूद भी किले का पतन नहीं हो सका । फलतः अंग्रेजों को संधि करनी पड़ी।
विशेषता
- इस दुर्ग को पारीख श्रेणी में रखा जाता है
- भरतपुर को अजय दुर्ग लोहागढ़ आदि नामों से जाना जाता है
- मैं अंग्रेज जीत सके न मुस्लिम अतः यह अजेय् दुर्ग कहलाता है
- प्रवेश द्वार पर अष्टधातु निर्मित मजबूत दरवाजा
- लोहागढ़ दुर्ग राजस्थान का एकमात्र अजय दुर्ग है अर्थात् लोहागढ़ दुर्ग राजस्थान का एकमात्र ऐसा दुर्ग है जिसे कोई जीत नही पाया। ( न तो अंग्रेज और न ही मुगल जीत पाये )
- 8 फिरंगी 9 गोरा लड़ जाट का 2 छोरा यह कहावत भरतपुर में स्थित लोहागढ़ दुर्ग के लिए है। इस कहावत में दो छोरा शब्द का अर्थ दुर्जन शाल तथा माधोसिंह है।
- लोहागढ़ दुर्ग राजस्थान का एकमात्र ऐसा दुर्ग है जिसका प्रकोटा पुर्णतः मिट्टी से निर्मित है।मत्सय संघ का उद्घाटन लोहागढ़ दुर्ग में हुआ था।
- जाटों की कुल देवी राजेश्वरी माता का मंदिर भरतपुर के लोहागढ़ दुर्ग में स्थित है।लोहागढ़ दुर्ग के मुख्य दरवाजे को लोहिया दरवाजा कहा जाता है।
- लॉर्ड लोक ने नीव में बारूद भर कर इसे उड़ाने का प्रयास किया लेकिन वह नाकामयाब रहा
- जवाहर बुर्ज एवं फतेहपुर विशेष आकर्षण है
- जवाहर बुर्ज पर जाट राजाओं का राज्य अभिषेक किया जाता है
नाहरगढ़ दुर्ग- ( जयपुर, राजस्थान )
जयपुर में अरावली पर्वतमाला की पहाड़ी पर अवस्थित नाहरगढ़ के किले का निर्माण सवाई जयसिंह ने 1734 ईस्वी में मराठा आक्रमणों से बचाव के लिए करवाया था। यह भव्य और सुदृढ़ दुर्ग जयपुर के मुकुट के समान है । इसे “सुदर्शन गढ़’ भी कहते हैं। नाहरगढ़ दुर्ग के निर्माण का मुख्य उद्देश्य मराठा आक्रमण से बचना था। यहां पर सवाई माधव सिंह द्वितीय ने अपने पासबना के लिए एक समान 9 महलों का निर्माण करवाया इस किले का नाहरगढ़ नाम नाहर सिंह भोमिया के नाम पर पड़ा है। ऐसी मान्यता है कि नारगढ़ के निर्माण के समय जुझार नाहरसिंह ने किले के निर्माण में विघ्न उपस्थित किया, तब तांत्रिक रत्नाकार पुंडरीक ने नहारसिंह बाबा को अन्यत्र जाने के लिए राजी कर दिया, और उनका स्थान “अंबागढ़” के निकट एक चोबुर्जी गड़ी में स्थापित कर दिया। जहां आज भी लोग देवता के रूप में पूजे जाते हैं।
विशेषता
- मराठों के विरुद्ध सुरक्षा हेतु इस दुर्ग का निर्माण करवाया
- लोक देवता नाहर सिंह भोमिया पर नामकरण
- इस दुर्ग के निकट जैविक उद्यान स्थित
- यह राजस्थान का पहला जैविक उधान है।
- जैविक उद्यान की स्थापना नाहरगढ़ किले/पहाड़ीयो मे कि गयी है
- सवाई माधो सिंह द्वितीय ने अपनी नो पासवान रानियों के लिए एक जैसे नौ महल बनवाएं
भटनेर दुर्ग - ( हनुमानगढ़, राजस्थान )
भटनेर के किले का निर्माण राजा भूपत भाट्टी ने 1295 ई. में करवाया था। भटनेर का प्राचीन दुर्ग हनुमानगढ़ में स्थित है मरुस्थल से गिरा होने के कारण भटनेर के किले को शास्त्रों मे वर्णित धान्वन दुर्ग की श्रेणी में रख सकते हैं राजस्थान के सबसे प्राचीन दुर्ग को उत्तरी सीमा का प्रहरी/उत्तरी भड़ किवाड़ हनुमानगढ़ ( बीकानेर के शासक सूरतसिंह ने मंगलवार को इस दुर्ग पर अधिकार कर इसका नाम हनुमानगढ़ कर दिया। ) आदि नामों से जाना जाता है। टनेर का किला दुर्गो की धान्वन श्रेणी में आता है।
विशेषता
- उतरी सीमा का प्रहरी
- भटनेर का किला राजस्थान का सबसे प्राचीन किला है।
- इस दुर्ग को रेगिस्तान श्रेणी में रखा जाता है
- भटनेर का किला राजस्थान का एकमात्र ऐसा किला है जहा से मुस्लिम महिलाओ के जोहर का प्रमाण मिलता है।
- तैमूर ने अपनी आत्मकथा तुजुक ए तैमूरी में लिखा है कि मैंने इतना मजबूत व सुरक्षित किला पूरे हिंदुस्तान में नहीं देखा
- बीकानेर नरेश सूरत सिंह ने 1805 ईस्वी में मंगलवार के दिन इसे जीतकर इसका नाम हनुमानगढ़ रखा
गागरोन दुर्ग - ( झालावाड, राजस्थान )
गागरोन दुर्ग का निर्माण राजा बिसल देव के द्वारा करवाया गया था। गागरोन का किला राजस्थान राज्य के झालावाड़ जिले में आहू नदी तथा कालीसिंध नदियों के संगम पर मुकन्दरा की पहाड़ी स्थित है। यह दुर्ग जल दुर्ग की श्रेणी में आता है
विशेषता
- आहू व कालीसिंध नदी के संगम पर स्थित दुर्ग
- देवन सिंह ने 12 वीं शताब्दी में जीतकर इसका नाम गागरोन दुर्ग रखा
- हमीदुद्दीन चिश्ती मिठे शाह की दरगाह है
- यह कालीसिंध को आहु नदी के संगम पर स्थित है
- इसका निर्माण परमार नरेश बिजल देव ने करवाया था
- इस दुर्ग में पीपाजी की छतरी स्थित है और यहां मीठे शाह की दरगाह स्थित है
- विशाल परकोटा जालिम कोट कहलाता है
तारागढ़ दुर्ग - ( अजमेर, राजस्थान )
अजयपाल के द्वारा निर्माण करवाया गया, दारा शिकोह ने यहीं आश्रय लिया था, मीरान साहब की दरगाह स्थित है, महाराणा रायमल के पुत्र पृथ्वीराज सिसोदिया द्वारा अपनी पत्नी ताराबाई के नाम पर इसका नाम तारागढ़ रखा उपनाम - अजयमेरू, गढ़ बिठली, राजस्थान का जिब्राल्टर, पूर्व का दूसरा जिब्राल्टर अजमेर | तारागढ़ का किला दुर्गो कि गिरि श्रेणी में आता है हरविलास शारदा ने अजमेर दुर्ग को भारत का प्राचीनतम गिरी दुर्ग माना है
विशेषता
- दारा शिकोह ने यही आश्रय लिया था
- मीरान साहब की दरगाह
- विसप हेबर ने इसको पूर्व का जिब्राल्टर कहां है
- इस दुर्ग में मीर साहब की दरगाह स्थित है और मीर साहब के घोड़े की मजार की स्थित है
- महाराणा रायमल के पुत्र पृथ्वीराज सिसोदिया द्वारा अपनी पत्नी ताराबाई के नाम पर तारागढ़ नाम रखा
मेहरानगढ़ दुर्ग - ( जोधपुर, राजस्थान )
उपनाम - चिड़िया टूंक दुर्ग, गढ़ चिंतामणि, मयूरध्वज गढ़, जोधपुर का किला - जोधपुर में स्थिति गिरीदुर्ग है निर्माता राव जोधा द्वारा 13 मई 1459 ईसवी में निर्मित अपनी विशालता के कारण यह किला मेहरानगढ़ कहलाता है । लाल पत्थरों से निर्मित जोधपुर का मयूर आकृति का होने के कारण इसे मयूरध्वज गढ़ या मोरध्वज गढ़ भी कहते हैं इस दुर्ग को त्रिकूटाकृतिगढ़, सोनारगढ़, सोनगढ़ नामों से जाना जाता है इस दुर्ग को उत्तरी सीमा का पहरी भी कहा जाता है इस दुर्ग की पहाड़ी प्रसिद्ध योगी चिङियानाथ के नाम पर चिड़िया टूंक कहलाती थी। मेहरानगढ़ किले के प्रवेश द्वारों मे लोहापोल, जयपोल, फतेहपोल प्रमुख है। लोहापोल का निर्माण राव मालदेव ने करवाया। जयपोल का निर्माण महाराजा मानसिंह ने करवाया। महाराजा तख्त सिंह द्वारा निर्मित श्रृंगार चौकी इस दुर्ग में स्थित है जहां जोधपुर के राजाओं का राजतिलक होता था
दर्शनीय स्थल- फूल महल ख्वाबगाह तखत विलास दोलत खाना चौके लाव महल बीचला महल सिलह खाना मानसिंह पुस्तक प्रकाश भूरे शाह की मजार इत्यादि है
विशेषता
- मयुरा कृति म्युर ध्वज गढ़ का किला
- लॉर्ड कीपलिंग परियों एवं देवताओं द्वारा निर्मित दुर्ग
- प्रवेश द्वार जयपोल लोहा पोलल फतेहपोल तीन प्रमुख है
- चामुंडा माता का मंदिर राव जोधा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था जो अट्ठारह सौ सत्तावन ईसवी में बारूद खाने पर बिजली गिरने से क्षतिग्रस्त हो गया जिसे तख्तसिंह ने पुन निर्माण करवाया था
अचलगढ़ दुर्ग - ( सिरोही, राजस्थान )
आबू दुर्ग माउंट आबू सिरोही में स्थित है
विशेषता
- भंवरा थल गुजरात के सुल्तान महमूद बेगड़ा द्वारा देव प्रतिमा नष्ट करने पर मधुमक्खियों का आक्रमण
- इस दुर्ग में गोमुख मंदिर स्थित है जिसमें सर्व धातु की बनी 14 मूर्तियां स्थापित है
सोनार दुर्ग - ( जैसलमेर, राजस्थान )
उपनाम - सोनारगढ़ त्रिकूट गढ़ गोहरा गढ़ उत्तर भढ़ किवाड़ जैसलमेर - इसका निर्माण 1155 ई.मे रावल जैसल भाटी ने करवाया था। उसके पुत्र व उतराधिकारी शालिवाहन दि्तीय ने जैसलमेर दुर्ग का अधिकांश निर्माण पूर्ण करवाया। यह दुर्ग त्रिकूटाकृति का है तथा इसकी उँचाई 250 फीट हैं।इस दुर्ग के चारो ओर विशाल मरुस्थल फैला हुआ है इस कारण यह दुर्ग ‘ धान्वन दुर्ग ( मरु दुर्ग )’ की श्रेणी मे आता है। कहावत प्रचलित हैं कि यहां पत्थर के पैर , लोहे का शरी और काठ घोड़े पर सवार होकर ही पहुंचा जा सकता हैं। पीले पत्थरों से निर्मित इस दुर्ग का निर्माण बिना चूने से किया दुर्ग का दोहरा परकोटा कमर कोटा कहलाता है काली माता मंदिर सतीयों के पगोलीये हस्तलिखित ग्रंथों का दुर्गम भंडार जिन भद्र सुरी ग्रंथ भंडार दर्शनीय
विशेषता
- ढाई शाके
- 1292 इसवी अलाउद्दीन खिलजी व मूलराज
- फिरोजशाह तुगलक व रावल दुदा
- 1550 ईसवी कंधार के शासक अमीर अली व रावल लूणकरण अर्द्ध शाका केसरिया हुआ जोहर नहीं हुआ
मेगजीन दुर्ग - ( अजमेर, राजस्थान )
उपनाम - शस्त्रागार अकबर का दौलत खाना अकबर का किला अजमेर - अकबर का किलाइस दुर्ग का निर्माण मुगल बादशाह अकबर ने हिज़री संवत् 978 (1570 ई.) में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने हेतु करवाया।यहाँ पर अकबर अपना राजकोष रखता था।अत: यह दुर्ग अकबर का दौलतखाना के नाम से जाना जाता है।राजस्थान का यह एकमात्र दुर्ग है जो पूर्णतया मुस्लिम दुर्ग निर्माण पद्धति से बना है ।यह दुर्ग 'स्थल/भूमि दुर्ग' की श्रेणी में आता है।
विशेषता
- राजस्थान का मुस्लिम स्थापत्य कला का एकमात्र दुर्ग
- सर टॉमस रो ने यहीं पर जहांगीर को अपना परिचय पत्र प्रस्तुत किया था
- अकबर ने इस किले का निर्माण मोइनुद्दीन चिश्ती के प्रति सम्मान व्यक्त करने हेतु किया
मंडोर दुर्ग - ( जोधपुर, राजस्थान )
उपनाम - मांडव्यपूर दुर्ग जोधपुर - वर्तमान में अवशेष मात्र
स्वर्णगिरी दुर्ग - ( जालौर, राजस्थान )
उपनाम - जाबलि पुर का दुर्ग सोनगढ़ जालौर - अलाउद्दीन खिलजी ने 1311 ईस्वी में आक्रमण किया उस समय यहां का शासक कन्हड़देव सोनगरा चौहान था इस किले के कमजोर भाग को जांचने हेतु बुराइयों को महंगे दामों पर खरीद कर प्रयोग किया अतः राईयो का भाव राते बिता कहावत प्रचलित है
विशेषता
- मलिक शाह पीर की दरगाह
- वीरम चौकी
- मानसिंह के महल
- प्राचीन शिव मंदिर
- जैन मंदिर कंचन गिरि विहार
भैंसरोडगढ़ दुर्ग - ( चितोडगढ़, राजस्थान )
उपनाम - राजस्थान का वेल्लोर चित्तौड़गढ़ - इस दुर्ग का निर्माण भैंसाशाह और रोड़ा चारण ने करवाया था
विशेषता
- भैंसरोडगढ़ चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है
- यह दुर्ग चंबल में बामणी नदी के संगम पर स्थित है इसे राजस्थान का वेल्लोर भी कहा जाता है
- चंबल में बामणी नदी के संगम पर स्थित जल दुर्ग
जयगढ़ दुर्ग - ( जयपुर, राजस्थान )
जयपुर में स्थित गिरी दुर्ग का निर्माण मानसिंह प्रथम द्वारा करवाया गया लेकिन जगदीश गहलोत और गोपीनाथ शर्मा के अनुसार इस दुर्ग का निर्माता मिर्जा राजा जयसिंह था । जय गढ़ राजस्थान का एकमात्र दुर्ग है जिस पर कभी कोई बाह्य आक्रमण नहीं हुआ
विशेषता
- चिल्ह का किला
- इसमें टॉप डालने का कारखाना एशिया की सबसे बड़ी तोप जयबाण तोप सात मंजिला प्रकाश स्तंभ व दिया बूर्ज दर्शनीय है
- तीन दरवाजे डूंगर अवनी व भैरू दरवाजा
- इसका उपयोग राजाओं के खजाने को दबाने हेतु किया जाता है
- आपातकाल में खुदाई करने के कारण चर्चित रहा
- इस दुर्ग में अंतर लघु दुर्ग विजय गड्डी शस्त्रागार है
आमेर दुर्ग - ( जयपुर, राजस्थान )
इस दुर्ग का निर्माण भारमल और मानसिंह ने करवाया था यह दुर्ग गिरी दुर्ग की श्रेणी में आता है दुर्ग में सौभाग्य मंदिर कदमी महल प्रसिद्ध स्मारक स्थित है चारों ओर पहाड़ियों से घिरा कछवाहा शासकों की प्रथम राजधानी रहा है इस किले के बारे में हैबर आमेर के महलों की सुंदरता के बारे में लिखता है कि ” मैने क्रेमलिन में जो कुछ देखा है और अलब्रह्राा के बारे में जो कुछ सुना है उससे भी बढ़कर ये महल है।”
सिवाना किला - ( बाड़मेर, राजस्थान )
सिवाना बाड़मेर में स्थित वीर नारायण पवार द्वारा निर्मित यह दुर्ग 56 की पहाड़ी पर बना हुआ है यह दुर्ग मारवाड़ के राजाओं की शरण स्थली रहा है इसमें कला रायम लोत का खेड़ा स्थित है 1308 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने इसे जीतकर कमालुद्दीन गूर्ग को दुर्ग रक्षक नियुक्त किया वह इसका नाम खैराबाद रखा इस दुर्ग का प्रारंभिक नाम कुमथान था यह राजस्थान के दुर्गों में सबसे पुराना दुर्ग है जोधपुर के राठौड़ नरेशो के लिए यह विप्पती काल में शरण स्थली के रूप में रहा है
कुचामन किला - ( नागोर, राजस्थान )
कुचामन नागौर में स्थित यह दुर्ग जागीरदारों का सबसे बड़ा दुर्ग जिसे मेड़तिया शासक जालिम सिंह ने बनाया था सामंतों द्वारा बनाए गए दुर्गो में सिरमोर माना जाता है
तारागढ़ किला - ( बूंदी, राजस्थान )
बूंदी में स्थिति यह दुर्ग राव बरसिंह ने बनवाया इसमें भीम बुर्ज व गर्भ गुंजन तोप दर्शनिय है तारागढ़ दुर्ग वीरता और बलिदान की अनेक रोमांचक घटनाओं का साक्षी रहा है कर्नल जेम्स टॉड ने बूंदी के राजमहलो को राजस्थान के सभी रजवाड़ों के राजा प्रसादो में सर्वश्रेष्ठ बताया है
सज्जनगढ़ किला - (उदयपुर, राजस्थान )
उदयपुर में स्थित इस दुर्ग का निर्माण सज्जन सिंह ने बांस दरा पहाड़ी पर बनवाया उदयपुर के मुकुट मणि के नाम से प्रसिद्ध इस किले में वर्तमान में पुलिस का वायरलेस केंद्र है
चुरु किला - ( चुरू, राजस्थान )
1814 ईस्वी में ठाकुर शिव सिंह द्वारा अपनी आजादी व अस्मिता के लिए चांदी के गोले दागने के कारण चर्चित रहा निर्माण 1614 ईसवी में कुशल सिंह ने करवाया इस दुर्ग के ठाकुर शिव सिंह ने 1814 ईस्वी में बीकानेर की सेना के विरुद्ध युद्ध में गोला समाप्त हो जाने पर चांदी के गोले बनाकर तोपों से दुश्मन पर दागा था जब तोपो से छोटे चांदी के गोले शत्रु सेना पर जाकर गिरे तो शत्रु सेना हैरान रह गई और उसने जनता की भावनाओं का आदर करते हुए दुर्ग से घेरा उठा लिया
चोमूहागढ़ दुर्ग - ( जयपुर, राजस्थान )
चोमू जयपुर में स्थित इस दुर्ग का निर्माण ठाकुर करण सिंह द्वारा करवाया गया अन्य नाम रघुनाथगढ़ धारा धार गढ़
इस किले के भीतर भव्य और आलीशान महल बनी हैं इनमें कृष्ण निवास रतन निवास शीश महल मोती महल तथा देवीस निवास प्रमुख और उल्लेखनीय हैं
माधोराजपुरा किला - ( जयपुर, राजस्थान )
अमीर खां पिंडारी की बेगम को बंधक बनाने वाले वीर भगत सिंह नरूका की रोमांचक दास्तान का साक्षी किला इस दुर्ग का निर्माण जयपुर के महाराजा सवाई माधव सिंह प्रथम ने मराठा विजय के उपलक्ष में करवाया था
फतेहपुर दुर्ग - ( सीकर, राजस्थान )
यह शेखावाटी का सबसे महत्वपूर्ण दुर्ग है इसका निर्माण सन 1453 में फतेह खान कायमखानी मुसलमान द्वारा करवाया गया दुर्ग के अंदर तोलिन का महल बड़ा प्रसिद्ध है
लक्ष्मणगढ़ - ( सीकर, राजस्थान )
इस दुर्ग का निर्माण सीकर के राजा लक्ष्मण सिंह हनी विक्रम संवत 1862 में बेडगांव की पहाड़ी पर करवाया
बाला दुर्ग - ( अलवर, राजस्थान )
हसन खान मेवाती द्वारा निर्मित इस दुर्ग में मुगल बादशाह बाबर ठहरा था इस दुर्ग का निर्माण हसन खान मेवाती ने सवंत 928 में करवाया था
नागौर दुर्ग - ( नागोर, राजस्थान )
सोमेश्वर चौहान की सामंत केमास द्वारा निर्मित है इसमें अमर सिंह राठौड़ की वीर गाथाएं जुड़ी हुई है हाल ही में यूनेस्को ने इस किले को अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस प्रदान किया है यहां स्थित तालाब का निर्माण अकबर ने करवाया था इस दुर्ग का निर्माण नाग राजाओं के समय में पांचवी शताब्दी से पूर्व आरंभ हुआ था इसलिए इसे नाग दुर्ग भी कहते हैं नागौर के किले के स्थापत्य की विशेषता यह है की किले के बाहर से चलाए गए तोप के गोले किले के महलों को क्षति पहुंचाए बिना ऊपर से निकल जाते थे
बयाना किला भरतपुर, राजस्थान )
बयाना भरतपुर में विजयपाल द्वारा निर्मित इस स्थल दुर्ग को विजयगढ़ व बादशाह दुर्ग भी कहा जाता है इस दुर्ग में उषा मंदिर भीमलाट लोदी मीनार सराय सादुल्लाह अकबरी छतरी जहांगीरी दरवाजा दर्शनीय हैं इस दुर्ग में स्थित है विजय स्तंभ राज्य का प्रथम विजय स्तंभ है जिसका निर्माण समुद्रगुप्त ने करवाया था इस दुर्ग के भीतर लाल पत्थर से बना एक ऊंचा लाट या स्तंभ है जो भीमलाट के नाम से प्रसिद्ध है उषा मंदिर बयाना दुर्ग की एक प्रमुख मंदिर है
शेरगढ़ किला - ( धौलपुर, राजस्थान )
धौलपुर के शेरगढ़ किले का निर्माण जोधपुर के राव मालदेव ने करवाया था जिर्ण सिर्ण इस दुर्ग को शेरशाह सूरी ने 1540 ईसवी में पुन निर्मित करवाया तभी से इसका नाम शेरगढ़ पड़ गया
मंडराथल दुर्ग - ( सवाई माधोपुर, राजस्थान )
सवाई माधोपुर में स्थित दुर्ग को ग्वालियर दुर्ग की कुंजी कहा जाता है इसमें मरदान शाह की दरगाह स्थित है
शेरगढ़ किला - ( बारा, राजस्थान )
बारा में स्थित शेरगढ़ का किला परवन नदी के किनारे स्थित है

राजस्थान के दुर्ग सम्बंधित Question In Hindi
1 राज्य में मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थित चामुंडा माता का मंदिर का निर्माण किसने करवाया
उत्तर- राव जोधा ने
2 किस दुर्ग के बारे में प्रचलित है कि यहां पहुंचने के लिए पत्थर के पैर होने चाहिए
उत्तर- जैसलमेर
3 किस किले को यूनेस्को ने अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस प्रदान किया है
उत्तर- नागोर का किला
4 राजस्थान की किस दुर्ग को जीतने में अंग्रेजों को असफल होना पड़ा था
उत्तर- भरतपुर
5 इस ग्रुप का प्रवेश द्वार नौलखा दरवाजा के नाम से जाना जाता है
उत्तर- रणथंबोर
राजस्थान के दुर्ग Question
6 कुंभलगढ़ दुर्ग का निर्माण किसने करवाया था
उत्तर- महाराणा कुंभा ने
7 मंडन किस दुर्ग का शिल्पी था
उत्तर- कुंभलगढ़ दुर्ग
8 मेहरानगढ़ दुर्ग का निर्माण किसने करवाया था
उत्तर- राव जोधा ने
9 इतिहास प्रसिद्ध सिवाना दुर्ग किस जिले में स्थित है
उत्तर- बाड़मेर
10 1965 के भारत-पाक युद्ध में शहीद रेल कर्मचारियों का स्मारक किस जिले में स्थित है
उत्तर- गडरा रोड बाड़मेर
राजस्थान के दुर्ग - Rajasthan Ke Durg Question
11 बीकानेर के प्रसिद्ध किले का निर्माण करता किसे कहा जाता है
उत्तर- रायसिंह को
12 वह कौन सा मेवाड़ का महसूस शासक था जिसने अचलगढ़ के किले की मरम्मत करवाई थी
उत्तर- महाराणा कुंभा
13 चित्तौड़ दुर्ग के निर्माता कौन थे
उत्तर- चित्रांगद मौर्य
14 वह किला जिसमें एक जैसे नौ महल है
उत्तर- नाहरगढ़ का किला
15 वह कौन सा शासक था जिसने बसंती गढ़ के किले का निर्माण करवाया था
उत्तर- राणा कुंभा
राजस्थान के दुर्ग के प्रश्न
16 कोशवर्धनगढ़ किस किले का प्रचलित नाम है
उत्तर- शेरगढ़ का किला
17 राजस्थान का दूसरा पुराना किला कौन सा है
उत्तर- जैसलमेर का किला
18 सुवर्ण गिरी दुर्ग किसे कहते हैं
उत्तर- जालोर का किला
19 तिमनगढ़ का दुर्ग किस जिले में स्थित है
उत्तर- करॉली
20 वह किला जिस की आजादी व अस्मिता की रक्षा के लिए वहां के ठाकुरों ने गोला-बारूद खत्म होने पर वहां चांदी के गोले दागे थे
उत्तर- चूरू का किला चूरू
राजस्थान के दुर्ग - राजस्थान का सबसे नया दुर्ग
21 कौन सा किला अरावली पर्वतमाला में स्थित नहीं है
उत्तर- गागरोन का किला
22 गागरोन किला किस नदी के किनारे स्थित है
उत्तर- कालीसिंध नदी के किनारे
23 जूनागढ़ दुर्ग का निर्माण किसने करवाया था
उत्तर- महाराजा राय सिंह ने
24 सिवाना दुर्ग पर राव सातलदेव के शासन काल में किस मुस्लिम शासक ने आक्रमण किया था
उत्तर- अलाउद्दीन खिलजी
25 गढ़ बिठली दुर्ग कहां पर स्थित है
उत्तर- अजमेर

राजस्थान के दुर्ग Question - राजस्थान का सबसे प्राचीन दुर्ग
26 जल दुर्ग किस स्थान पर स्थित है
उत्तर- गागरोन
27 प्रसिद्ध लोहागढ़ किला किस जिले में स्थित है
उत्तर- भरतपुर
28 कुंभलगढ़ किला किस जिले में स्थित है
उत्तर- राजसमंद
29 म्यूर ध्वज गढ़ किस दुर्ग को कहा जाता है
उत्तर- मेहरानगढ़ दुर्ग को
30 मिठे शाह की दरगाह किस किले में स्थित है
उत्तर- गागरोन किला में
राजस्थान का अंतिम दुर्ग
31 रेगिस्तान में निर्मित दुर्ग को क्या कहा जाता है
उत्तर- धांवन दुर्ग
32 गढ़ बिठली किस किले का लोकप्रिय नाम है
उत्तर- तारागढ़ किला अजमेर
33 राजस्थान का वेल्लोर भेंसरोड गढ़ दुर्ग कहां पर स्थित है
उत्तर- चंबल बामनी नदियों के संगम स्थल पर स्थित
34 राज्य में धारा धार गढ़ किस दुर्ग को कहा जाता है
उत्तर- चोमू का किला
35 एशिया की सबसे बड़ी मानी जाने वाली जय बाण तोप किस दुर्ग में स्थित है
उत्तर- जयगढ़ दुर्ग जयपुर
राजस्थान के दुर्ग PDF Download
36 राज्य के किस किले पर सबसे अधिक बार आक्रमण हुए हैं
उत्तर- तारागढ़ अजमेर
37 राज्य में मुस्लिम महिलाओं द्वारा जोहर का अनुष्ठान किए जाने के ऐतिहासिक प्रमाण किस दुर्ग में मिलते हैं
उत्तर- भटनेर का किला
38 झाली रानी का मालिया महल किस दुर्ग में स्थित है
उत्तर- कुंभलगढ़ दुर्ग
39 अबुल फजल ने किस दुर्ग के संबंध में कहा था कि अन्य सभी दुर्ग नंगे है जबकि यह दुर्ग बख्तरबंद है
उत्तर- रणथंबोर दुर्ग
40 राज्य का कौन सा दुर्ग है चित्रकूट के नाम से जाना जाता है
उत्तर- चित्तौड़गढ़ का दुर्ग

राजस्थान के दुर्गों से संबंधित प्रश्न
41 संत मलिक साहब की दरगाह कहां पर स्थित है
उत्तर- जालौर दुर्ग
42 शक्तिशाली तोप गर्भ गुंजन कहां स्थित है
उत्तर- बूंदी का किला
43 वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जन्म किस दुर्ग में हुआ था
उत्तर- कुंभलगढ़ दुर्ग में
44 चित्तौड़गढ़ दुर्ग में विजय स्तंभ का निर्माण किसने करवाया था
उत्तर- महाराणा कुंभा ने
45 जैसलमेर में 1505 ईसवी में वहां के शासक लुणकनसर के समय अर्ध शाका हुआ क्योंकि इसमें-
उत्तर- केसरिया हुआ, जोहर नहीं हुआ
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