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Jawaharlal Nehru Ka Jeevan Parichay in Hindi
हेल्लो दोस्तों स्वागत है आपका हमारी website पर तो दोस्तों आज में आपको Jawaharlal Nehru Ka Jeevan Parichay in Hindi – Best उपलब्ध करूँगा जो कि भारत के महत्वपूर्ण व्यक्ति व भारत के महत्वपूर्ण प्रधानमंत्री भी थे |
Jawaharlal Nehru Ka Jeevan Parichay in Hindi – Best में आपको जवाहर लाल नेहरु जी से संबधित पूरी जानकारी आपको मिलेगी |
Jawaharlal Nehru Ka Jeevan Parichay in Hindi
- Jawaharlal Nehru Ka Jeevan Parichay in Hindi
- पंडित जवाहर लाल नेहरू
- जीवनी – Jawaharlal Nehru Ka Jeevan Parichay in Hindi
- चाचा नेहरू
- जवाहर लाल नेहरू आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री थे।
Jawaharlal Nehru Ka Jeevan Parichay in Hindi
जवाहर लाल नेहरू आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। नेहरू जी एक महान स्वतन्त्रता सेनानी थे । नेहरू का पूरा नाम पंडित जवाहरलाल नेहरू है। जिनका जन्म 14 नवम्बर 1889, को इलाहबाद उत्तर प्रदेश मे हुआ था ।
इनकी माता का नाम स्वरूपरानी था ओर पिता का नाम मोतीलाल नेहरु था । जवाहर लाल नेहरू को गुलाब का फूल बहुत अधिक पसंद था । ओर जवाहर लाल नेहरू जी ने भारत को आजाद करने के लिए महात्मा गांधीजी का साथ दिया था । सन 1955 मे नेहरू जी को भारत रत्न से नवाजा गया था ।
बच्चे इन्हे चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे इसी प्रेम के कारण इनका जन्म दिवस बाल दिवस की रूप मे 14 नवम्बर को मनाया जाता है । नेहरू जी ने हमेशा अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान ओर चीन से संबंध सुधारने के लिए प्रयास किए।

पंडित जवाहर लाल नेहरू के पिताजी का क्या नाम है तथा वह क्या काम करते थे?
मोतीलाल नेहरू (जन्म: 6 मई 1861 – मृत्यु: 6 फ़रवरी 1931) इलाहाबाद के एक प्रसिद्ध अधिवक्ता थे। वे भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू के पिता थे। वे भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के आरम्भिक कार्यकर्ताओं में से थे। जलियांवाला बाग काण्ड के बाद 1919 में अमृतसर में हुई कांग्रेस के वे पहली बार अध्यक्ष बने और फिर 1928 में कलकत्ता में दोबारा कांग्रेस के अध्यक्ष बने।
जीवनी – Jawaharlal Nehru Ka Jeevan Parichay in Hindi
मोतीलाल नेहरू का जन्म आगरा में हुआ था। उनके पिता का नाम गंगाधर था। वह पश्चिमी ढँग की शिक्षा पाने वाले प्रथम पीढ़ी के गिने-चुने भारतीयों में से थे। वह इलाहाबाद के म्योर केंद्रीय महाविद्यालय में शिक्षित हुए किन्तु बी०ए० की अन्तिम परीक्षा नहीं दे पाये। बाद में उन्होंने कैम्ब्रिज से “बार ऐट लॉ” की उपाधि ली और अंग्रेजी न्यायालयों में अधिवक्ता के रूप में कार्य प्रारम्भ किया।
मोतीलाल नेहरू की पत्नी का नाम स्वरूप रानी था। जवाहरलाल नेहरू उनके एकमात्र पुत्र थे। उनके दो कन्याएँ भी थीं। उनकी बडी बेटी का नाम विजयलक्ष्मी था, जो आगे चलकर विजयलक्ष्मी पण्डित के नाम से प्रसिद्ध हुई। उनकी छोटी बेटी का नाम कृष्णा था। जो बाद में कृष्णा हठीसिंह कहलायीं। – Jawaharlal Nehru Ka Jeevan Parichay in Hindi
लेकिन आगे चलकर उन्होंने अपनी वकालत छोडकर भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में कार्य किया था। 1923 में उन्होने देशबंधु चितरंजन दास के साथ काँग्रेस पार्टी से अलग होकर अपनी स्वराज पार्टी की स्थापना की। 1928 में कोलकाता में हुए काँग्रेस अधिवेशन के वे अध्यक्ष चुने गये। 1928 में काँग्रेस द्वारा स्थापित भारतीय संविधान आयोग के भी वे अध्यक्ष बने। इसी आयोग ने नेहरू रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। – Jawaharlal Nehru Ka Jeevan Parichay in Hindi
मोतीलाल नेहरू का 1931 में इलाहाबाद में निधन हुआ।
नेहरू परिवार के दिल्ली में सबसे पहले पूर्वज राज कोल थे।
Jawaharlal Nehru Ka Jeevan Parichay in Hindi
1 क्या जवाहर लाल नेहरू ने कभी कहा था कि वो दुर्भाग्य से हिन्दू है या ये एक अफवाह है?
जवाहरलाल नेहरू ने यह कभी नहीं कहा था कि वह दुर्भाग्य से हिंदू हैं।वास्तव में उनकी किसी भी धार्मिक संप्रदाय में आस्था नहीं सी।
इस संबंध में एक प्रसंग का उल्लेख करना उचित होगा मई 1928 में कीर्ति नामक पत्रिका में भगत सिंह का एक लेख छपा था जिसमें उन्होंने 11 12 13 अप्रैल 1928 को कांग्रेस के एक राजनीतिक कान्फ्रेंस का उल्लेख किया है जो अमृतसर में हुई थी। इस कॉन्फ्रेंस में मौलाना जफर अली साहब ने कई बार खुदा खुदा शब्द का प्रयोग किया। इस बार जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि आप खुदा खुदा बार-बार ना कहें मैं तो किसी धर्म को नहीं मानता हूं।
भगत सिंह जी सांप्रदायिकता के कट्टर विरोधी थे और उनका मानना था कि सांप्रदायिकता उतनी ही बड़ी शत्रु है जितना कि साम्राज्यवाद।
वास्तव में जवाहरलाल नेहरू सांप्रदायिकता के विरोधी थे वह किसी धर्म के विरोधी नहीं थे
मैं पहले भी कई लेखों में यह स्पष्ट कर चुका हूं की व्यापक अर्थ में धर्म का अर्थ नैतिक नियम होता है लेकिन संकुचित अर्थ में धर्म से तात्पर्य एक संप्रदाय से होता है। नेहरू धर्म को तो मानते थे लेकिन धार्मिक संप्रदाय को नहीं मानते थे।
आपको यह जानकर आश्चर्य नहीं होना चाहिए की जैसे ही धर्म में किसी भी देवी सत्ता का किसी भी रूप में प्रवेश होता है वैसे ही एक संप्रदाय का निर्माण हो जाता है।
हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सांप्रदायिकता भी एक बहुत बड़ी समस्या थी। कांग्रेसमें भी कुछ लोग ऐसे थे जो सांप्रदायिकता को बढ़ावा देते थे उनसे जवाहरलाल नेहरू का विरोध हो जाता था।
इसी संदर्भ में हम भगत सिंह के विचारों को देख सकते हैं जब यह कहते हैं कि प्रगत के लिए संघर्षशील किसी भी व्यक्ति को अंधविश्वासों की आलोचना करनी ही होगी और पुरातन पंथी विचारों को चुनौती देनी ही होगी।
Jawaharlal Nehru Ka Jeevan Parichay in Hindi
तू मेरा यही कहना है कि जवाहरलाल नेहरू की बातों का गलत अर्थ ना लिया जाए वह किसी भी धार्मिक संप्रदाय में आस्था नहीं रखते थे।
लेकिन उन्होंने यह भी कहा था की धर्मनिरपेक्षता से हमारा आशय किसी धर्म को हतोत्साहित करने से नहीं है बल्कि सभी को धर्म और विचार की स्वतंत्रता प्रदान करना है उनको भी स्वतंत्र प्रदान करना है जिनका अपना कोई धर्म नहीं है।
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2 क्या जवाहर लाल नेहरू का कोई बेटा भी था?
इमरजेंसी की ज्यादतियों से पूरा हिंदुस्तान परेशान हो उठा था। इमरजेंसी के बाद चुनाव में इंदिरा जी हार गयी और तब इमरजेंसी हटने के बाद नईदुनिया इंदौर के समाचार पत्र में यह अंतिम पत्र छपा था।
” जिस की बेटी ने उठा रखी थी, सर पर दुनिया ,
वो तो अच्छा हुआ नेहरू को बेटा न हुआ।”
इंदिरा जी नेहरू जी की एकलौती संतान थी
Jawaharlal Nehru Ka Jeevan Parichay in Hindi

3 जवाहर लाल नेहरू का असल धर्म क्या था? नेहरू खानदान का इतिहास क्या है?
जवाहरलाल नेहरू का असल धर्म हिन्दू धर्म और जाति ब्राह्मण था। ये कश्मीरी कौल ब्राह्मण थे । इनके पिता मोतीलाल नेहरु भारत के सबसे बड़े वकीलों में से एक थे तथा इनके दादा गंगाधर नेहरु 1857 की गदर के समय दिल्ली के कोतवाल थे।
Jawaharlal Nehru Ka Jeevan Parichay in Hindi
ये सारे नित्य गायत्री मंत्र जपने वाले ब्राह्मण थे और शिव भक्त थे। पंडित नेहरु ने बाबा अमरनाथ की यात्रा भी किये थे। इनकी बेटी भी नित्य गायत्री मंत्र जपती थी तथा अपने घरवालों को भी गायत्री मंत्र जपने के लिये प्रोत्साहित करती थी।
Jawaharlal Nehru Ka Jeevan Parichay in Hindi
नेहरू स्वाभाविक रूप से अति स्वार्थ और मौका परस्त थे। उनकी जीवनी पढ़ने वाले किसी भी व्यक्ति को (जो थोड़ा बहुत ज्ञान रखता है) आभास हो जाएगा कि नेहरू कितना खुदगर्ज और सेल्फिश थे। चाहे आजादी के बाद कांग्रेस सता में आई और सारे देश के पाठ्यक्रम का नए सिरे से स्वतंत्र भारत के अनुसार लेखन किया और उस पाठ्यक्रम चुंकि नेहरू की टीम ने तय किया, अपने अनुसार कई झूठ लिखवा कर स्वयं को ही महिमा मंडित करा कर प्रकाशित किया हो, मगर सभी जानते हैं कि नेहरू क्या थे
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